 
                                            छोटे बच्चों के कान छिदवाने के हैं कई फायदे
                                                                                                                        - भारत में नवजात बच्चों के कान छेदने की पुरानी परंपरा है
- छोटी उम्र में कान छिदवाने से आगे चलकर बहुत फायदा होता है
- कान खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही आपको हेल्दी भी बनाए रखते हैं
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        आप अपने कान क्यों छिदवाते हैं? शायद खूबसूरत दिखने के लिए. लेकिन भारत में लोग क्यों अपने छोटे बच्चों के कान छिदवाते हैं? नवजात बच्चों को तो खूबसूरत दिखने से कुछ मतलब नहीं होता है. दरअसल, पुरानी परंपराओं को मानने वाले लोग तभी बच्चे के कान छेद देते हैं जब वह कुछ ही दिनों का होता है. हालांकि यह वैदिक परंपरा है और बच्चे को बहुत दर्द भी होता है लेकिन आगे चलकर इसके बहुत फायदे होते हैं.
बचपन से होगी हेल्दी लाइफस्टाइल तो नहीं होंगी बीमारियां
1. प्रजनन अंगों को बनाए हेल्दी
ईयर लोब्स (कान का निचला हिस्सा) के बीचों बीच वाला प्वॉइंट शरीर का सबसे अहम प्वॉइंट होता है. यह प्वॉइंट आपके प्रजनन अंगों की हेल्थ के लिए जिम्मेदार होता है. यह पुरुषों के जननांगों को मजबूत बनाए रखता है और महिलाओं के पीरियड साइकिल को ठीक से संचालित करता है.
2. दिमाग के लिए जरूरी
ईयर लोब्स में एक प्वॉइंट होता है जो दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से को आपस में जोड़ता है. कान छेदने से दिमाग के दोनों हिस्सों को एक्टिव होने में मदद मिलती है. इस प्वॉइंट को छेदने से ब्रेन का विकास तेजी से होता है. जन्म के पहले आठ महीने में बच्चे के कान छेदना जरूरी है क्योंकि यही वह समय है जब ब्रेन का विकास हो रहा होता है.
अगर पापा करेंगे देखभाल तो कम होगा बच्चों में मोटापे का खतरा
3. बढ़ाए आंखों की रोशनी, कान रहेंगे हेल्दी
कान के निचले हिस्से में एक केंद्रीय बिंदु है, जहां से आंखों की नसें पास होती हैं. ऐसे में इस हिस्से को छिदवाना जरूरी है ताकि बच्चों की आंखों की रोशनी बेहतर हो सके. यही नहीं कान छिदवाने से कान भी हेल्दी बने रहते हैं.
4. पाचन तंत्र बनाए दुरुस्त
जिस जगह कान छेदे जाते हैं, वहां पर भूख लगने वाला प्वॉइंट होता है. एक्यूप्रेशन में इसे हंगर प्वॉइंट कहते हैं. यह प्वॉइंट बच्चों के पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और मोटापे की आशंका भी कम हो जाती है.
प्रेग्नेंसी में शराब पीना हो सकता है बच्चों के लिए खतरनाक
5. बढ़ाए फोकस और भगाए टेंशन
कान छिदवाने से दिमाग की ताकत बढ़ती है और फोकस करने में मदद मिलती है. यही नहीं जब कान छिदवाए जाते हैं तब ईयर लोब्स के बीच बीच बने प्वॉइंट पर दबाव पड़ने की वजह से टेंशन और घबराहट भी दूर हो जाती है.
बहरहाल, बच्चों के कान कब छिदवाने है यह पूरी तरह माता-पिता का फैसला है. हम आपसे यही कहेंगे कि अपने बच्चों के कान छिदवाने से पहले उनके डॉक्टर या घर के बड़ों से सलाह जरूर लें.
VIDEO: जानिए बच्चों में नजर की कमजोरी के बारे में सब कुछ साभार: DoctorNDTV
                                                                        
                                    
                                बचपन से होगी हेल्दी लाइफस्टाइल तो नहीं होंगी बीमारियां
1. प्रजनन अंगों को बनाए हेल्दी
ईयर लोब्स (कान का निचला हिस्सा) के बीचों बीच वाला प्वॉइंट शरीर का सबसे अहम प्वॉइंट होता है. यह प्वॉइंट आपके प्रजनन अंगों की हेल्थ के लिए जिम्मेदार होता है. यह पुरुषों के जननांगों को मजबूत बनाए रखता है और महिलाओं के पीरियड साइकिल को ठीक से संचालित करता है.
2. दिमाग के लिए जरूरी
ईयर लोब्स में एक प्वॉइंट होता है जो दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से को आपस में जोड़ता है. कान छेदने से दिमाग के दोनों हिस्सों को एक्टिव होने में मदद मिलती है. इस प्वॉइंट को छेदने से ब्रेन का विकास तेजी से होता है. जन्म के पहले आठ महीने में बच्चे के कान छेदना जरूरी है क्योंकि यही वह समय है जब ब्रेन का विकास हो रहा होता है.
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3. बढ़ाए आंखों की रोशनी, कान रहेंगे हेल्दी
कान के निचले हिस्से में एक केंद्रीय बिंदु है, जहां से आंखों की नसें पास होती हैं. ऐसे में इस हिस्से को छिदवाना जरूरी है ताकि बच्चों की आंखों की रोशनी बेहतर हो सके. यही नहीं कान छिदवाने से कान भी हेल्दी बने रहते हैं.
4. पाचन तंत्र बनाए दुरुस्त
जिस जगह कान छेदे जाते हैं, वहां पर भूख लगने वाला प्वॉइंट होता है. एक्यूप्रेशन में इसे हंगर प्वॉइंट कहते हैं. यह प्वॉइंट बच्चों के पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और मोटापे की आशंका भी कम हो जाती है.
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5. बढ़ाए फोकस और भगाए टेंशन
कान छिदवाने से दिमाग की ताकत बढ़ती है और फोकस करने में मदद मिलती है. यही नहीं जब कान छिदवाए जाते हैं तब ईयर लोब्स के बीच बीच बने प्वॉइंट पर दबाव पड़ने की वजह से टेंशन और घबराहट भी दूर हो जाती है.
बहरहाल, बच्चों के कान कब छिदवाने है यह पूरी तरह माता-पिता का फैसला है. हम आपसे यही कहेंगे कि अपने बच्चों के कान छिदवाने से पहले उनके डॉक्टर या घर के बड़ों से सलाह जरूर लें.
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