चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की चर्चा हर तरफ है. इसरो (ISRO) ने 22 जुलाई, 2019 को सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2 Mission) को चांद पर छोड़ा. इसका पूरा क्रेडिट इसरो की टीम में शामिल वनिता मुथय्या (Vanitha Muthayya) और रितु कारिधल (Ritu Karidhal) को जाता है. ये दोनों ही इसको की वुमन डायरेक्टर इन चार्ज हैं और इनका काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है बल्कि चंद्रयान-2 के सितंबर (2019) तक जमीन पर वापिस आने तक जारी रहेगा.
भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार था जब किसी अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ में रहा. जहां वनिता मुथय्या (इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर) ने चंद्रयान-2 की प्रॉजेक्ट डायरेक्टर काम संभाला और रितु कारिधल (इसको साइंटिस्ट) के पास मिशन डायरेक्टर का जिम्मा है.
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वनिता मुथय्या (40) पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने इसरो में बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर पद पर रहीं. वो डेटा हैंडलिंग में एक्सपर्ट हैं, इसी वजह से उन्होंने रिमोट सैटेलाइट्स का डेटा भी संभाला है. इससे पहले वह चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) के अलग-अलग पेलोड्स से आने वाले डेटा का विश्लेषण करती थीं. अब वनिता मुथय्या के पास चंद्रयान-2 के लॉन्च और धरती पर वापस आने तक की जिम्मेदारी दी गई है.
वहीं, रितु कारिधल को 'रॉकेट वुमन' (Rocket Women) के नाम से जाना जाता है. वह मंगलायन में डेप्युटी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं. अब उन्होंने चंद्रयान-2(Chandrayaan-2) में डायरेक्टर इन चार्ज काम संभाला. उन्होंने चंद्रयान-2 के ऑटोनोमी सिस्टम को भी डिज़ाइन किया है.
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रितु कारिधल ने बैंगलोर, IISC से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है. इससे पहले मार्स ऑरबिटर मिशन के लिए इसरो टीम अवॉर्ड मिला. इसके साथ ही रितु कारिधल को साल 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) से यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.
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