हम लोग किसी न किसी वजह से ट्रैवलिंग करते हैं. किस को घूमना पसंद होता है तो किसी को बिजनेस की वजह से इधर-उधर जाना पड़ता है. लेकिन अगर आप लगातार ट्रैवलिंग करते हैं तो यह आपके लिए खतरे का संकेत है. लगातार ट्रैवलिंग करना जेट लैग का कारण बन सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. दरअसल, ट्रैवलिंग हमारी 'बॉडी क्लॉक' को गड़बड़ कर देती है और इससे शरीर में ट्यूमर बनने की आशंका रहती है. यह बात एक रिसर्च में सामने आई है. रिसर्च के रिजल्ट से पता चला है कि लोगों की बॉडी क्लॉक उन सेल्स यानी कि कोशिकाओं पर असर डालती है जिनमें कैंसर रोक पाने की ताकत होती है.
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बर्लिन की चैरिटे मेडिकल यूनिवर्सिटी के मुख्य लेखक एंजेला रीलोगियो के हवाले से डेली मेल में कहा गया है, 'हमारी आंतरिक घड़ी बाहरी रोशनी और अंधकार के साथ तालमेल बनाते हुए चलती है और लोगों के व्यवहार व गतिविधि के स्तरों को प्रेरित करती है.'
रीलोगियो ने कहा,'हमारे परिणामों के आधार पर ऐसा लगता है कि क्लॉक में एक ट्यूमर शमनकर्ता के रूप में कार्य करता है."
यह रिसर्च 'पीएलओएस बायोलॉजी' मैगजीन में पब्लिश हुआ है. स्टडी के लिए टीम ने RAC नाम के एक प्रोटीन का विश्लेषण किया, जो चूहों में लगभग एक चौथाई कैंसर वाले कोशिकाओं में सक्रिय है.
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आरएएस जो शरीर में कोशिकाओं के तेजी से बहुगुणित होने को नियंत्रित करता है और वह लोगों की आंतरिक बॉडी क्लॉक को भी प्रभावित करता है. यह दो प्रोटीनों के माध्यम से होता है - INK4 और ARF, जो कैंसर को दबाने के लिए जाना जाता है.
पिछली स्टडी में पाया गया था कि कोशिकाओं के आकार में समय के साथ उतार चढ़ाव होता है, जिसे जीवन काल का निर्धारण और कैंसर की शुरुआत से जोड़ा जा सकता है. बायलॉजिकल क्लॉक में बदलाव आने से दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
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