नई दिल्ली:
ऐसा कहा जाता है कि बॉलीवुड पर पुरुष कलाकारों का ही कब्जा है. एक हीरो के लिए बॉलीवुड में आगे बढ़ने की ज्यादा संभावनाएं हैं, क्योंकि ज्यादातर कहानियां उनके इर्दगिर्द ही बुनी जाती हैं. लेकिन इसके बावजूद कुछ फिल्मों में हीरोइनों ने बेहतरीन काम किया. इन फिल्मों में हीरोइनों के किरदारों से महिला सशक्तीकरण की झलक नजर आई. वे इन किरदारों में 'बेचारी औरत' की छवि को खारिज करती नजर आईं. इन किरदारों में महिलाओं ने सिर्फ रोमांस किया, बल्कि एक अलग छवि प्रस्तुत की जिसे काफी सराहा गया.
अस्तिव की लड़ाई लड़ती अदिति
फिल्म 'अस्तित्व' में अदिति के किरदार में तब्बू अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हुई नजर आई. हमारे समाज में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए जाते हैं. एक गलत काम के लिए लड़कों को माफी मिल जाती है, लेकिन वही गलती लड़कियों के लिए माफी के लायक नहीं है. अदिति के किरदार के जरिए इस फिल्म में कहा गया कि महिलाओं को भी अपने जज्बात को जाहिर करने का हक होना चाहिए. जैसे मर्दों का अपने जज्बात पर कभी-कभी काबू नहीं रहता, वैसी परिस्थिति में कई बार महिलाएं भी खुद को खड़ा पाती हैं.
फिजा की मजबूत करिश्मा
करिश्मा कपूर ने फिल्म 'फिजा' में जो किरदार निभाया, उसे उनकी अब तक की बेहतरीन परफॉर्मेंस कहा जाता है. इस फिल्म में उन्होंने टाइटल रोल निभाया था, जो पूरे घर को आर्थिक और भावनात्मक रूप से संभालती है. इस दौरान उसका विश्वास कभी नहीं डगमागाता. भाई को इंसाफ दिलाने के लिए वह राजनेताओं के साथ-साथ अपराधियों से भी लोहा लेना से पीछे नहीं हटती है.
'दिल धड़कने दो' की आयशा
इस फिल्म में आयशा का जो जिद्दी, अजीब और महत्वाकांक्षी महिला का किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया वह कई लोगों के लिए आंखें खोलने वाला था. यह एक ऐसी महिला का किरदार था, जो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुई. लेकिन इसके बावजूद उसने सफलता पाने के लिए एक मुश्किल रास्ता चुना. इस दौरान उसे अपनी शादीशुदा जिंदगी में आने वाली तमाम परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. लेकिन वह टूटी नहीं और अंत में अपनी मंजिल को हासिल किया.
'पीकू' एक इमोशनल बेटी
आमतौर पर फिल्मों की कहानी घर के बेटे के इर्दगिर्द घूमती नजर आती है, जिसमें पूरे घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होती है. लेकिन फिल्म 'पीकू' की कहनी लीक से हटकर थी, जहां घर की बेटी के कंधों पर पूरी जिम्मेदारी होती है. इसके साथ ही पीकू' अपने करियर पर भी पूरा फोकस रखती है. 'पीकू' की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो घर के साथ-साथ ऑफिस भी संभालना चाहती हैं.
'चक दे इंडिया'- इंडियन वुमेन्स हॉकी टीम
यह फिल्म महिला हॉकी टीम की खिलाडि़यों के इर्दगिर्द बुनी गई थी. इस टीम में हर लड़की अपने स्तर पर अलग-अलग संघर्ष से जूझ रही थी. लेकिन इसके बावजूद सभी का एक ही लक्ष्य था, जीत हासिल कर खुद को साबित करना. कोई अपने माता-पिता के सामने खुद को साबित करना चाहती थी. वहीं कोई अपने होने वाले पति को यह बताना चाहती थी कि वह भी उससे किसी मायने में कमतर नहीं है. इस फिल्म की महिला किरदारों ने कई लोगों की रूढ़िवादी सोच को तोड़ा.
क्वीन में रानी कंगना
अगर किसी लड़की की शादी टूट जाए, तो कुछ समय के लिए उसका खुद पर से विश्वास ही डगमगा जाता है. वह लोगों की नजरों का सामना करने से भी बचती है. लेकिन फिल्म 'क्वीन' में रानी इससे उलट शादी टूटने के बाद अपने हनीमून पर अकेले ही जाने का फैसला करती है. यूरोप घूमती है, इस दौरान कुछ अच्छे दोस्त बनाती है. साथ ही उस लड़के (जिससे उसकी शादी होने वाली होती है) को इस बात का अहसास दिलाती है कि वह किसी दूसरी लड़की से कम नहीं है. कंगना के इस किरदार ने लाखों लड़कियों का हौसला बढ़ाया.
'कभी अलविदा ना कहना' की रिया
प्रीति जिंटा ने फिल्म 'कभी अलविदा ना कहना' में रिया का जो किरदार निभाया, उसने लाखों वर्किंग वीमेन के हौसले को बढ़ाया. रिया का किरदार कई कामकाजी महिलाओं की दुर्दशा को प्रकाश में लाया, जो अपने घरों और उनके ऑफिस को संभालना चाहती हैं. रिया अपने आत्मसम्मान और अस्तित्व की लड़ाई अपने पति से ही लड़ती है, जो उसे घर से बाहर भेजने से भी घबराता है.
अस्तिव की लड़ाई लड़ती अदिति
फिल्म 'अस्तित्व' में अदिति के किरदार में तब्बू अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हुई नजर आई. हमारे समाज में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए जाते हैं. एक गलत काम के लिए लड़कों को माफी मिल जाती है, लेकिन वही गलती लड़कियों के लिए माफी के लायक नहीं है. अदिति के किरदार के जरिए इस फिल्म में कहा गया कि महिलाओं को भी अपने जज्बात को जाहिर करने का हक होना चाहिए. जैसे मर्दों का अपने जज्बात पर कभी-कभी काबू नहीं रहता, वैसी परिस्थिति में कई बार महिलाएं भी खुद को खड़ा पाती हैं.
फिजा की मजबूत करिश्मा
करिश्मा कपूर ने फिल्म 'फिजा' में जो किरदार निभाया, उसे उनकी अब तक की बेहतरीन परफॉर्मेंस कहा जाता है. इस फिल्म में उन्होंने टाइटल रोल निभाया था, जो पूरे घर को आर्थिक और भावनात्मक रूप से संभालती है. इस दौरान उसका विश्वास कभी नहीं डगमागाता. भाई को इंसाफ दिलाने के लिए वह राजनेताओं के साथ-साथ अपराधियों से भी लोहा लेना से पीछे नहीं हटती है.
'दिल धड़कने दो' की आयशा
इस फिल्म में आयशा का जो जिद्दी, अजीब और महत्वाकांक्षी महिला का किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया वह कई लोगों के लिए आंखें खोलने वाला था. यह एक ऐसी महिला का किरदार था, जो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुई. लेकिन इसके बावजूद उसने सफलता पाने के लिए एक मुश्किल रास्ता चुना. इस दौरान उसे अपनी शादीशुदा जिंदगी में आने वाली तमाम परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. लेकिन वह टूटी नहीं और अंत में अपनी मंजिल को हासिल किया.
'पीकू' एक इमोशनल बेटी
आमतौर पर फिल्मों की कहानी घर के बेटे के इर्दगिर्द घूमती नजर आती है, जिसमें पूरे घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होती है. लेकिन फिल्म 'पीकू' की कहनी लीक से हटकर थी, जहां घर की बेटी के कंधों पर पूरी जिम्मेदारी होती है. इसके साथ ही पीकू' अपने करियर पर भी पूरा फोकस रखती है. 'पीकू' की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो घर के साथ-साथ ऑफिस भी संभालना चाहती हैं.
'चक दे इंडिया'- इंडियन वुमेन्स हॉकी टीम
यह फिल्म महिला हॉकी टीम की खिलाडि़यों के इर्दगिर्द बुनी गई थी. इस टीम में हर लड़की अपने स्तर पर अलग-अलग संघर्ष से जूझ रही थी. लेकिन इसके बावजूद सभी का एक ही लक्ष्य था, जीत हासिल कर खुद को साबित करना. कोई अपने माता-पिता के सामने खुद को साबित करना चाहती थी. वहीं कोई अपने होने वाले पति को यह बताना चाहती थी कि वह भी उससे किसी मायने में कमतर नहीं है. इस फिल्म की महिला किरदारों ने कई लोगों की रूढ़िवादी सोच को तोड़ा.
क्वीन में रानी कंगना
अगर किसी लड़की की शादी टूट जाए, तो कुछ समय के लिए उसका खुद पर से विश्वास ही डगमगा जाता है. वह लोगों की नजरों का सामना करने से भी बचती है. लेकिन फिल्म 'क्वीन' में रानी इससे उलट शादी टूटने के बाद अपने हनीमून पर अकेले ही जाने का फैसला करती है. यूरोप घूमती है, इस दौरान कुछ अच्छे दोस्त बनाती है. साथ ही उस लड़के (जिससे उसकी शादी होने वाली होती है) को इस बात का अहसास दिलाती है कि वह किसी दूसरी लड़की से कम नहीं है. कंगना के इस किरदार ने लाखों लड़कियों का हौसला बढ़ाया.
'कभी अलविदा ना कहना' की रिया
प्रीति जिंटा ने फिल्म 'कभी अलविदा ना कहना' में रिया का जो किरदार निभाया, उसने लाखों वर्किंग वीमेन के हौसले को बढ़ाया. रिया का किरदार कई कामकाजी महिलाओं की दुर्दशा को प्रकाश में लाया, जो अपने घरों और उनके ऑफिस को संभालना चाहती हैं. रिया अपने आत्मसम्मान और अस्तित्व की लड़ाई अपने पति से ही लड़ती है, जो उसे घर से बाहर भेजने से भी घबराता है.
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