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जाति ना पूछो साधु की... जाति पर महान संतों ने कही थीं ये बातें, यहां पढ़ें जाति पर 10 बेहतरीन कोट्स

Quotes On Caste: जाति पर हो रहे हालिया विवादों को देखने पर महान संतों की कही बातें याद आती हैं. दशकों पहले कहे गए ये वचन आज भी प्रासंगिक हैं. 

जाति ना पूछो साधु की... जाति पर महान संतों ने कही थीं ये बातें, यहां पढ़ें जाति पर 10 बेहतरीन कोट्स
10 Quotes On Caste: कबीरदास से लेकर संत रविदास ने कही थीं ये बातें. 

Caste Quotes: इटावा के कथावाचकों का मामला हालिया दिनों में चर्चा का विषय बनाया हुआ है. यादव समुदाय के कथावाचकों ने ब्राह्मण यजमान पर मारपीट और अपमानित करने का आरोप लगाया है. इस घटना के बाद देश में एकबार फिर जाति (Caste) के मुद्दे ने आग पकड़ ली है. सवाल उठने लगा है कि क्या कथावाचक का काम किसी एक धर्म या जाति के लिए ही सीमित है और क्या आज भी समाज जाति के आधार पर बंटा हुआ है. ऐसे में उन कवियों, लेखकों, गुरुओं और संतों की बातें याद आती हैं जो कहा करते थे कि किसी जाति विशेष में जन्म लेना ही व्यक्ति को बड़ा नहीं बनाता है बल्कि उसका काम, उसकी महानता ही उसे किसी काम का अधिकारी बनाती है. आइए ऐसे ही 10 कोट्स (Quotes) पढ़ें जो कबीरदास, संत रविदास और संत नरसी मेहता समेत अन्य संतों व कवियों द्वारा कहे गए हैं. 

जाति पर महान संतों के 10 कोट्स 

जात-पात के फेर में 
उरझि रह्यो संसार 
मानवता को खायगयो 
दैविक धर्म अपार

संत रविदास 

संत रविदास (Sant Ravidas) कहते हैं कि अज्ञान के वश में सभी लोग जाति−पाति के चक्कर में उलझकर रह गए हैं. रैदास कहते हैं कि यदि वे इस जातिवाद के चक्कर से नहीं निकले तो एक दिन जाति का यह रोग संपूर्ण मानवता को निगल जाएगा. 

जाति ना पूछो साधु की 
पूछ लीजिए ज्ञान |
मोल करो तलवार का 
पड़ा रहन दो म्यान
 ||

- कबीरदास 

भाव है कि किसी साधु या व्यक्ति कि जाति पूछने के बजाय उसके ज्ञान और गुण का मूल्यांकन करना चाहिए. 

वैष्ण जन तो तेने कहिए जे 
पीर पराई जाने रे 

- नरसी मेहता 

भावार्थ है कि वैष्णव वह है जो दूसरों के दुख को समझे. जाति नहीं बल्कि करुणा की महत्ता है. 

जाति-जाति में जाति है, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके, जब तक जाति न जात।

- संत रविदास

संत रविदास कहते हैं कि जाति के विभाजन से मनुष्य आपस में बंट जाते हैं लेकिन जाति खत्म नहीं होती. इसीलिए रविदास कहते हैं कि जबतक जाति खत्म नहीं होगी मनुष्य एकदूसरे से जुड़ नहीं सकते हैं. 

कबीरा कुंआ एक हैं,
पानी भरैं अनेक ।
बर्तन में ही भेद है,
पानी सबमें एक  ।।

- कबीरदास 

कबीर (Kabir) का भाव है कि परमात्मा एक है और सभी मनुष्य उसकी संतान हैं. अलग-अलग धर्म, जाति और पंथ बर्तन के समान हैं जो परमात्मा को पाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं. यानी सब अलग-अलग खुद को मानते हैं लेकिन हैं एक से ही. 

रविदास जनम के कारने, होत न कोई नीच,
नर कू नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच ।

- संत रविदात 

रविदास जी कहते हैं कि जन्म से कोई ऊंचा-नीचा नहीं होता है बल्कि उसके बुरे कर्म ही व्यक्ति को ऊंचा या नीचा बनाते हैं, 

नीचं नीच कह मारहिं, जानत नाहिं नादान।
सभ का सिरजन हार है, रैदास एकै भगवान॥

-संत रविदास 

संत रविदास कहते हैं कि नीच-नीच कहकर लोग एकदूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, एक दूसरे को मारते-पीटते हैं. लेकिन, ये लोग नादान हैं जो यह नहीं समझते कि सभी को बनाने वाले भगवान एक ही हैं. 

ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।

- रामधारी सिंह 'दिनकर'

कालजयी कृतियों के रचियता रामधारी सिंह 'दिनकर' (Ramdhari Singh Dinkar) ने अपने महाकाव्य रश्मिरथि में इस बात का वर्णन किया था कि ऊपर से देखने में तो सभी सोने के छत्र, पद-प्रतिष्ठा लिए बैठे हैं लेकिन मन सभी के काले हैं. ये लोग जो जाति पूछते हैं शर्म भी महसूस नहीं करते हैं. 

पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
'जाति-जाति' का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।

- रामधारी सिंह 'दिनकर'

दिनकर ने रश्मिरथि के ही एक प्रसंग में कहा था कि शूरवीर अपने तप के बल पर ही धरती पर सम्मान पाते हैं. जाति-जाति का शोर मचाने वाले, यानी जो लोग जाति के नाम पर भेदभाव करते हैं वो असल में कायर और क्रूर होते हैं.

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन

- संत रविदास 

संत रविदास का कहना है कि व्यक्ति की जाति पूछकर क्या होगा अगर उसमें किसी तरह का गुण ही ना हो, अच्छा आचरण ही ना हो. अगर कोई ब्राह्मण गुणहीन है तो उसे पूजा का अधिकार नहीं है. अगर कोई नीची जाति का व्यक्ति गुणकारी है तो उसे सम्मान और पूजा मिलनी चाहिए. 

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