जमानत नियम है और जेल अपवाद... सोरेन के सहयोगी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये क्यों कहा?

अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब कोई आरोपी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत हिरासत में होता है, तो जांच अधिकारी को दिया गया कोई भी दोषपूर्ण बयान साक्ष्य के रूप में अस्वीकार्य होता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए क्या कहा?
दिल्ली:

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को कथित जालसाजी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत (Prem Prakesh Bail)  मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए PMLA पर बड़ी (Supreme Court On PMLA)  टिप्पणी की. अदालत ने PMLA  की व्याख्या करते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद,  ये नियम PMLA में भी लागू होगा. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का हिस्सा है. अदालत ने कहा कि केवल कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके ही किसी को आजादी से वंचित किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि PMLA के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच अधिकारी के सामने अगर अपराध स्वीकार का बयान देता है तो उसे अदालत में सबूत नहीं माना जाएगा. 

सोरेन के सहयोगी को मिली जमानत, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए ये टिप्पणी की. जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब कोई आरोपी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत हिरासत में होता है, तो जांच अधिकारी को दिया गया कोई भी दोषपूर्ण बयान साक्ष्य के रूप में अस्वीकार्य होता है.  PMLA में भी जमानत नियम है और जेल अपवाद है. कोर्ट ने कहा कि धारा 45 में केवल जमानत के लिए पूरी की जाने वाली शर्तें बताई गई हैं.

PMLA पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

  • व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम होती है. कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार आजादी छीनना अपवाद है. 
  • जमानत का जुड़वां परीक्षण इस सिद्धांत को खत्म नहीं करता. 
  • हमारा मानना ​​है कि अगर अपीलकर्ता के बयानों में दोष सिद्ध पाया जाता है, तो वे धारा 25 के अंतर्गत आएंगे. 
  • सिर्फ इसलिए बयान को स्वीकार्य बनाना हास्यास्पद होगा, क्योंकि वह उस समय किसी अन्य PMLA के लिए हिरासत में था.
  • ऐसे बयानों को स्वीकार्य बनाना बेहद अनुचित होगा, क्योंकि यह न्याय के सभी सिद्धांतों के विरुद्ध होगा. 
  • एक मामले में न्यायिक हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत के आदेश के बिना तलब नहीं किया जा सकता.
  • अभियोजन पक्ष को PMLA के तहत जमानत पर विचार करने के लिए मुद्दों और तथ्यों को प्रथम दृष्टया स्पष्ट करना होगा. 
  • आरोपी प्रेम प्रकाश प्रथम दृष्टया अपराध का दोषी नहीं है और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना नहीं है. इसलिए जमानत के लिए यह उपयुक्त मामला है
  • टिप्पणियां केवल जमानत तक सीमित हैं और कानून के अनुसार ट्रायल को प्रभावित नहीं करेंगी.
  • अन्य शर्तों के साथ 5 लाख का जमानत बांड ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित किया जाएगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ED को लगाई थी फटकार

इन्हीं टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को कथित जालसाजी अपराध से उत्पन्न धन शोधन मामले में जमानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान ईडी को फटकार भी लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि बिना सुनवाई के आरोपियों को हिरासत में रखना स्वतंत्रता में बाधा डालने जैसा है. अदालत ने इसे नजरबंदी जैसा बताया था. 

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प्रेम प्रकाश पर क्या है आरोप?

रांची जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया था. ईडी ने उसे साहिबगंज में 1 हजार करोड़ अवैध पत्थर खनन मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जमीन की फर्जी खरीद-फरोख्त मामले में वह आरोपी था. अब उसे जमानत मिल गई है. 

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