वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में केंद्र विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के मुद्दे पर चर्चा करेगा. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर ईंधन की बढ़ती कीमतें ‘चिंता' का विषय हैं. एक जुलाई 2017 को जब जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी तब केंद्र और राज्यों के दर्जनभर से अधिक लेवी, पांच जिंस- कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ इसके दायरे से बाहर रखे गए थे.
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सीतारमण ने रविवार को एसोचेम के साथ बजट-बाद परिचर्चा में कहा कि एटीएफ को जीएसटी में शामिल करने के बारे में अंतिम फैसला परिषद लेगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल केंद्र के हाथों में नहीं है, इसे जीएसटी परिषद के पास भेजा जाएगा. परिषद की अगली बैठक के विषयों में इसे शामिल किया जाएगा ताकि इस पर चर्चा हो सके.''
वित्त मंत्री स्पाइस जेट के संस्थापक अजय सिंह के विचारों पर प्रतिक्रिया दे रही थीं जिनमें सिंह ने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री से समर्थन मांगा था.
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सिंह ने कहा था, ‘‘तेल 90 डॉलर पर पहुंच गया, डॉलर के मुकाबले रुपया 75 के स्तर पर है, ऐसे में नागर विमानन क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हुआ है. (एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए) आपका समर्थन बहुत मददगार होगा.'' अभी केंद्र सरकार एटीएफ पर उत्पाद कर लगाती है जबकि राज्य सरकारों इस पर वैट लगाती हैं. तेल की बढ़ती कीमतों के कारण ये कर भी बढ़ाए गए हैं.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘निश्चित ही केवल एयरलाइन के लिए ही नहीं बल्कि ईंधन की बढ़ती वैश्विक कीमतें हम सभी के लिए चिंता का विषय है, हां एयरलाइन के लिए यह चिंता ज्यादा बड़ी हक् क्योंकि महामारी के बाद वे पूरी तरह से उबर नहीं पाई हैं.'' सीतारमण ने कहा कि वह बैंकों से बात करेंगी कि एयरलाइन क्षेत्र के लिए क्या किया जा सकता है.
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