संजय तू कोर्ट से बाहर नहीं आएगा... क्‍यों उज्‍जवल निकम ने कहा था ऐसा, आखिर क्‍या था वो किस्‍सा

संजय दत्त बरी होंगे या फिर जेल जायेंगे, ये इस बात पर निर्भर था कि निकम कितनी मजबूती से सरकारी पक्ष के लिये उनके खिलाफ जिरह करते हैं. संजय दत्त को टाडा अदालत ने छह साल जेल की सजा सुनाई.

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  • मुंबई बमकांड के मुकदमे की सुनवाई टाडा अदालत में हो रही थी, जहां संजय दत्त भी आरोपी थे और जमानत पर बाहर थे.
  • संजय दत्त अदालत में आम आरोपियों की तरह बैठते थे, लेकिन मीडिया की ज्यादा भीड़ उनके कारण इकट्ठा होती थी.
  • उज्जवल निकम रोज मीडिया को मामले की जानकारी तीन भाषाओं में देते थे, लेकिन एक बार संजय की वजह से नाराज हो गए थे.
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मुंबई:

ये किस्सा उन दिनों का है जब मुंबई की आर्थर रोड जेल में बनी टाडा अदालत में मुंबई बमकांड का मुकदमा अपने आखिरी चरण में था. जज प्रमोद कोदे मामले की रोज सुनवाई करते थे. जिन आरोपियों की जमानत नहीं हुई थी उन्हें जेल की चारदीवारी के भीतर बने बैरकों से अदालत के कमरे में लाया जाता था. एक बैरक को ही खाली करा कर अदालत की शक्ल दी गयी थी. जिन आरोपियों की जमानत हो चुकी थी वे अपनी तारीख पर अदालत में हाजिर होते. जमानत पाए हुए आरोपियों में फिल्मस्टार संजय दत्त भी थे जिनपर दाऊद गिरोह की ओर से भेजी गईं  एके 56 राईफलें अपने साथ रखने का आरोप था. 

कार्रवाई के बाद निकम देते जानकारी 

संजय दत्त भी अपनी हाजिरी के वक्त एक आम आरोपी की तरह अदालत के पीछे बनाये गए हिस्से में बाकी आरोपियों के साथ बैठते. जिस दिन संजय दत्त की तारीख होती, उस दिन अदालत के बाहर मीडिया के कैमरों की आम दिनों से ज्यादा भीड़ रहती. रोज अदालत की कार्रवाई खत्म होने के बाद विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम जेल के बाहर बनाए गये मीडिया स्टैंड पर आकर दिनभर की कार्रवाई की जानकारी देते. अपनी बात वे अंग्रेजी, हिंदी और मराठी इन तीनों भाषाओं में रखते. उनके जाने के बाद बचाव पक्ष के वकील आकर मीडिया से मुखातिब होते. 

इसलिए संजय से हुए खफा 

एक बार हुआ ये कि अदालत की कार्रवाई जैसे ही खत्म हुई संजय दत्त बाहर आ गए. सारे मीडियाकर्मी उनकी तस्वीरें लेने के लिये उनके पीछे भागे. जब उज्जवल निकम बाहर आये तो देखा कि कोई मीडियाकर्मी स्टैंड पर उन्हें रिकॉर्ड करने के लिये था ही नहीं. उन्हें पुलिसकर्मियों ने बताया कि मीडिया वाले तो संजय दत्त के पीछे भागे हैं. ये बात उनको अखर गयी. उन्होने मीडियाकर्मियों के वापस स्टैंड पर आने का इंतजार किया और फिर रोज की तरह अदालती कार्रवाई का ब्यौरा दिया, लेकिन उनके चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी. अगली तारीख पर जब संजय दत्त वापस अदालत आये तो कार्रवाई खत्म होने के बाद उज्जवल निकल ने कोर्ट के दरवाजे के पास उन्हें बुलाया और उंगली दिखाते हुए चेतावनी वाले अंदाज में कहा  - 'संजू, जब तक मैं निकल नहीं जाता तब तक तू कोर्ट से बाहर नहीं आयेगा. समझ गया?' 

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छोटे बच्‍चे की तरह मानी बात 

जी, सर. बिलकुल नहीं आऊंगा.' संजय दत्त ने एक आज्ञाकारी बालक की तरह हामी भरी और वापस आरोपियों के लिये रखी बेंच पर जाकर बैठ गया. वहां मौजूद पत्रकारों ने देखा कि दत्त निकम के सख्त बर्ताव से खौफजदा हो गये थे और उनके चेहरे से पसीना टपकने लगा था. इसके बाद जब उज्जवल निकम रोज की तरह मीडिया को संबोधित करके चले गये तब ही संजय दत्त जेल के दरवाजे से बाहर निकले. उज्जवल निकम का गुस्सा उनके लिये ठीक नहीं था. 

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संजय दत्त बरी होंगे या फिर जेल जायेंगे, ये इस बात पर निर्भर था कि निकम कितनी मजबूती से सरकारी पक्ष के लिये उनके खिलाफ जिरह करते हैं. उस मामले में संजय दत्त को टाडा अदालत ने छह साल जेल की सजा सुनाई. अदालत ने उन्हें टाडा कानून के तहत आतंकवादी होने के कलंक से तो बरी कर दिया लेकिन आर्मस एक्ट के तहत दोषी करार दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी छह साल की सजा को घटाकर पांच साल की कर दिया. ये सजा दत्त ने पुणे की यरवदा जेल में पूरी की. 

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