कांग्रेस नेता राहुल गांधी की क्षेत्रीय पार्टियों पर "विचारधारा की कमी" वाली टिप्पणी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अब सफाई पेश की है. एक विशेष साक्षात्कार में एनडीटीवी से शशि थरूर ने कहा कि कम से कम हम सभी उनके मतलब को समझ गए. मुझे लगता है कि उनका (राहुल गांधी) मतलब था हमारे पास एक राष्ट्रीय दृष्टि है. हम पूरे देश के लिए बोलते हैं और सोचते हैं. जबकि क्षेत्रीय दल अपने चरित्र और स्वभाव से आमतौर पर एक विशेष क्षेत्र या रुचि समूह तक ही सीमित रहते हैं शशि थरूर ने आगे कहा कि मेरे ख्याल से, उदाहरण के लिए, तृणमूल, राजद, समाजवादी पार्टी या यहां तक कि अधिकांश भाग के लिए डीएमके की विचारधारा कांग्रेस के अनुरूप और संगत होगा.
दरअसल राजस्थान के उदयपुर में तीन दिवसीय कांग्रेस "चिंतन शिविर" के समापन दिवस पर अपने संबोधन में, राहुल गांधी ने कहा था कि "बीजेपी कांग्रेस के बारे में बात करेगी, कांग्रेस नेताओं के बारे में बात करेगी, कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बारे में बात करेगी, लेकिन क्षेत्रीय दलों के बारे में नहीं, क्योंकि वह जानते हैं कि क्षेत्रीय दलों का अपना स्थान है. वह बीजेपी को नहीं हरा सकते. क्योंकि उनकी कोई विचारधारा नहीं है."
राहुल गांधी की क्षेत्रीय पार्टियों पर "विचारधारा की कमी" की टिप्पणी पर कांग्रेस की कुछ क्षेत्रीय सहयोगी पार्टियों ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस के झारखंड सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा और बिहार के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल ने टिप्पणी पर सवाल उठाया है. राष्ट्रीय जनता दल ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उनके दावों को "विचित्र" बताया. राजद के मनोज झा ने कहा, "मुझे ये थोड़ा विचित्र और असंगत लगता है." कांग्रेस को "सह-यात्रियों" के रूप में समझौता करना चाहिए और उन्हें (क्षेत्रीय दलों को) 543 संसदीय क्षेत्रों में से 320 से अधिक में "ड्राइविंग सीट" पर रहने देना चाहिए,
ये सवाल करते हुए कि "हम बिना किसी विचारधारा के पार्टी कैसे चला रहे हैं," JMM ने कहा कि ये कांग्रेस है जो राज्यों में अस्तित्व के लिए क्षेत्रीय दलों पर निर्भर है. JD(S) नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि राहुल गांधी को ये याद रखना चाहिए कि कांग्रेस ने केंद्र में 10 साल केवल क्षेत्रीय दलों की मदद से शासन किया.
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