पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा (West Bengal Post Poll Violence) के मामले ने तूल पकड़ लिया है. दो हजार से ज्यादा महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर चुनाव पश्चात हुए खूनखराबे की जांच के लिए एसआईटी (SIT) के गठन की मांग की है. वकीलों ने कहा है कि चीफ जस्टिस (CJI) इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लें. महिलाओं, बच्चों, एससी और एसटी समुदाय के खिलाफ बुनियादी मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. चिट्ठी में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुए हिंसक संघर्ष में पड़ोसी राज्यों में लोगों का पलायन हुआ है.
इस मामले में FIR दर्ज कर विशेष जांच दल का गठन किया जाना चाहिए. हिंसा से प्रभावित जो लोग वापस लौटना चाहते हैं, उन्हें बचाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया जाए. असम, बिहार, ओडिशा और झारखंड में हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल से शरण लेने वाले लोगों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया जाए. गौरतलब है कि ऐसी ही याचिका पर अदालत ने पिछले सप्ताह इसी विषय पर पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी है.
जानकारी के मुताबिक, देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की 2093 महिला वकीलों ने सीजेआई को चिट्ठी लिखी है. हिंसा की जांच के लिए एसआईटी की मांग इन महिलाओं ने की है. वकीलों ने कहा है CJI इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लें.इससे पहले प्रबुद्ध नागरिकों के एक समूह ने भश्री बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन दिया.
ज्ञापन में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी बनाने की मांग की गई है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और तुरंत न्याय मिल सके. इसमें यह भी कहा गया है कि चूंकि पश्चिम बंगाल एक बॉर्डर स्टेट है इसलिए मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया जाना चाहिए ताकि देश की संस्कृति और एकता पर देशविरोधी हमले की छानबीन हो सके.
इससे पहले ही पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में बीजेपी (BJP) कार्यकर्ता की हत्या के मामलों में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) परीक्षण करने को तैयार हो गया था. SC ने इस मामले में पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सुनवाई की. याचिका में उनके भाई और बूथ कार्यकर्ता हरन अधिकारी की हत्या की जांच SIT से जांच कराने की मांग की गई है.