पश्चिम बंगाल निकाय चुनाव से पहले हिंसा पर BJP और TMC फिर आमने-सामने, SC पहुंचा मामला

19 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में होने वाले नगर निकाय चुनावों में हिंसा को लेकर BJP सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. पार्टी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में कहा कि बीजेपी सदस्यों के साथ 19 को होने वाले चुनाव के पहले हिंसा की जा रही है, इसलिए वहां केंद्रीय बलों की तैनाती हो.

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पश्चिम बंगाल में निकाय चुनाव से पहले हिंसा को लेकर बीजेपी पहुंची सुप्रीम कोर्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर चुनाव में चुनावी हिंसा को लेकर BJP बनाम TMC की लड़ाई शुरू हो गई है. 19 दिसंबर को राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव में हिंसा को लेकर BJP सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंची है. पार्टी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डालकर कहा कि विपक्षी बीजेपी सदस्यों के साथ 19 को होने वाले चुनाव के पहले हिंसा की जा रही है. BJP ने याचिका में राज्य में चुनावों के पहले केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है. यह याचिका बीजेपी सांसद और पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार ने दाखिल की है. वकील मेनका गुरुस्वामी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमना से BJP की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है.

बीजेपी ने अपने याचिका में कहा है कि 'नगर निगम के चुनाव 19 दिसंबर से होने हैं. विपक्षी पार्टी के सदस्यों को पीटा जा रहा है और धमकाया जा रहा है. हम केंद्रीय बलों की तैनाती चाहते हैं.'

CJI ने कहा कि 'ये सभी चुनावी मामले हैं जहां जमीन पर लड़ाई लड़ी जानी है.' गुरुस्वामी ने कहा कि 'जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच पहले से ही इसी तरह के मामले को देख रही है और विस्तृत आदेश पारित कर चुकी है.' इस परCJI ने कहा कि कोर्ट इस मुद्दे को देखेगी.

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दरअसल, बीजेपी शासित राज्य में राजनीतिक हिंसा के कारण नगरपालिका चुनावों के दौरान त्रिपुरा में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग करते हुए TMC ने सुप्रीम कोर्ट में इसी तरह की याचिका दायर की है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा उसकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

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मामले में, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस  विक्रम नाथ की पीठ ने पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की दो अतिरिक्त कंपनियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि त्रिपुरा में नगरपालिका चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष हो सकें.

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