मौसम ने बदली करवट : क्या है पछुआ पवन, जिससे बढ़ती है ठिठुरन?

उत्तर भारत में गिर रहा तापमान, पछुआ हवाओं से धीरे-धीरे बढ़ रही ठिठुरन, आने वाले दिनों में शीतलहर चलने की संभावना

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मौसम ने बदली करवट :  क्या है पछुआ पवन, जिससे बढ़ती है ठिठुरन?
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

India Weather: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत में तापमान में गिरावट आने के साथ ठंड बढ़ गई है. रविवार की सुबह दिल्ली का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया जबकि दिन में अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं पहुंच सका. दिल्ली एनसीआर में रविवार को आसमान में बादल घुमड़ते रहे और सूर्य की किरणों को रोकते रहे. उत्तर भारत में इन दिनों पछुआ पवन (Westerly Wind) चल रही है जो कि सर्दी बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण है. 

उत्तर भारत में ठंड अपना जोर दिखाने लगी है. मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार और मंगलवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिरने का अनुमान जताया है. इससे शीतलहर (Cold Wave) की स्थिति बन जाएगी. रविवार को मौसम में बदलाव देखने को मिला जब अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच अंतर कम हो गया और आसमान में हल्के बादल छाने लगे. उत्तर भारत में आने वाले कुछ दिनों में बारिश होने की संभावना है.        

दोनों ध्रुवीय इलाकों में पवन की अलग दिशा

उत्तर भारत में पछुआ पवन शीतलहर की दस्तक दे रही है. पछुआ पवन पृथ्वी के दोनों गोलार्द्धों में प्रवाहित होने वाली हवा की किस्में हैं. पश्चिम दिशा से पूर्व की ओर चलने के कारण इन्हें पछुआ पवन या या वेस्टर्लीज कहा जाता है. उत्तरी गोलार्द्ध में यह हवा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है.

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पछुआ पवन चलने के पीछे तापमान जहां एक प्रमुख कारण होता है वहीं भौगोलिक स्थितियों और धरती की अपने अक्ष पर गतिशीलता वगैरह से भी इस हवा की चाल प्रभावित होती है. धरती के पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमने के कारण पछुआ हवाएं चलती हैं. पछुआ का मतलब पश्चिम से है. 

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गर्मी में भी ठंडक का अहसास देती है पछुआ पवन

जब-जब पछुआ पवन चलती है तो तापमान में गिरावट आ जाती है. पश्चिम दिशा की ओर से आने वाली पछुआ हवाओं के चलने पर हर मौसम में ठंडक महसूस होती है. जब सर्दियों में यह पवन चलती है तो तापमान तेजी से गिरने लगता है.

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भारत में पछुआ पवन पहाड़ों से होकर आती है. हिमालय सहित अन्य ग्लेशियर के संपर्क में आकर आने वाली हवा का तापमान बहुत कम हो जाता है. इसके विपरीत पूर्व की ओर से चलने वाली हवा अलग भौगोलिक स्थितियों से गुजरती है इसलिए उसका तपमान कम नहीं होता. 

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पछुआ पवन जहां बड़े इलाके को प्रभावित करती हैं वहीं स्थानीय ठंडी हवाएं भी स्थान विशेष के मौसम में बदलाव का बड़ा कारण बनती हैं. स्थानीय धूल भरी हवाएं बहुत ठंडी होती हैं जो शीत लहर की स्थिति पैदा करती हैं. स्थानीय ठंडी हवाओं के उदाहरण मिस्ट्रल, बोरा, नॉर्थर्स, बर्फीला तूफान, पुर्गा, लैवेंडर, पैम्परो, बिसे वगैरह हैं. यह दुनिया के अलग-अलग इलाकों में चलती हैं.

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