उत्तराखंड में केदारनाथ धाम की पैदल दूरी अब कम होने जा रही है. आपदा के 10 साल बाद रामबाड़ा और गरुड़ चट्टी से होकर जाने वाले पुराने मार्ग को दोबारा अस्तित्व में लाने के लिए काम जारी है. इसको वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी भी मिल गई है. इस पुराने पैदल मार्ग के तैयार होने पर दूरी और समय दोनों ही काम हो जाएंगे.
साल 2013 में केदारनाथ धाम में भीषण आपदा आई थी जिसमें न केवल मंदिर के आसपास बल्कि केदारनाथ धाम तक जाने वाला पुराना पैदल मार्ग भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था. विशेषज्ञों ने पुराने पैदल मार्ग को दोबारा तैयार करने की बात कई बार कही थी लेकिन इस पर मंजूरी नहीं मिली थी. लेकिन अब इसे मंजूरी मिल गई है और उत्तराखंड का लोक निर्माण विभाग इस रास्ते को बनाने जा रहा है.
उत्तराखंड के पीडब्लूडी के सचिव पंकज पांडे ने कहा कि, ''पैदल मार्ग को लेकर एक प्लान किया था जिसमें फॉरेस्ट की सहमति मिल चुकी है. काम के लिए टेंडर किए जा रहे हैं. फॉरेस्ट में होने की वजह से इस रास्ते की चौड़ाई कम है. भविष्य में एक और रास्ता बनाया जाएगा जिसकी बात चल रही है.''
मौजूदा समय में केदारनाथ जाने के लिए रामबाड़ा से लिनचोली होते हुए पैदल मार्ग है. इस मार्ग में कई बड़े एवलांच आते हैं जो यात्रा के दौरान बड़ा खतरा पैदा करते हैं. यही वजह है कि एक्सपर्टों ने इस रास्ते के बजाय केदारनाथ जाने के पुराने रास्ते का इस्तेमाल किए जाने की सलाह दी थी.
एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी के भू वैज्ञानिक एमपीएस बिष्ट ने कहा कि, ''यह मार्ग अभी जिस पर लोग चल रहे हैं, मंदाकिनी के साउथ वाले हिस्से में है. मौजूदा रास्ते में कई बड़े एवलांच आते हैं जिसकी वजह से यह रास्ता खतरनाक हो जाता है क्योंकि सर्दियों में एवलांच अपने साथ काफी बड़ा मलबा लेकर आते हैं.''
पुराने पैदल मार्ग पर गरुड़ चट्टी आता है, जिसका जिक्र केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया था, क्योंकि प्रधानमंत्री का गरूड़ चट्टी से आध्यात्मिक नाता रहा है. पूर्व में जब वे राजनीति में नहीं थे तब उन्होंने गरुड़ चट्टी में न सिर्फ समय बिताया था बल्कि गरुड़ चट्टी गुफा में रहकर साधना भी की थी. पीएम ने अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान पुराने मार्ग को संवारने का संकल्प दोहराया था.
एमपीएस बिष्ट ने कहा कि, ''पीएम मोदी की केदारनाथ में बड़ी आस्था है और गरुड़ चट्टी में उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था. पीएम की सोच थी कि इस जगह को दोबारा डेवलप किया जाए. केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मौजूदा रूट की तुलना में यह बेहद ही सुरक्षित मार्ग है.''
केदारनाथ धाम तक जाने वाले पुराने पैदल मार्ग को एक बार फिर तैयार किया जा रहा है. पुराने पैदल मार्ग के फिर से बनने के बाद केदारनाथ धाम की दूरी लगभग 4 से 5 किलोमीटर कम हो जाएगी. यह श्रद्धालुओं के लिए बड़ी राहत की बात है.