"कृपया मुझे बख्श दें", पतंजलि के विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बीच उत्तराखंड के अधिकारी

अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा विशेष रूप से कोरोनिल के लिए जारी किए गए भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने में क्यों और कैसे विफल रही?

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नई दिल्ली:

पतंजलि के लाइसेंस को लेकर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड सरकार के दवा लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार लगाई है. साथ ही जानना चाहा है कि वह बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा विशेष रूप से कोरोनिल के लिए जारी किए गए भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने में क्यों और कैसे विफल रही. कोर्ट के कड़े रुख के बीच उत्तराखंड के खाद्य और औषधि प्रशासन के संयुक्त निदेशक डॉ. मिथिलेश कुमार ने अदालत से कहा कि "कृपया मुझे बख्श दीजिए...मैं जून 2023 में आया था...मेरे सामने ऐसा नहीं हुआ था. 

हालांकि जस्टिस कोहली ने पूछा कि अदालत नरम नहीं पड़ेगी. हमें ऐसा क्यों करना चाहिए? आपकी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई? आपने क्या कार्रवाई की? उन्होंने पूछा कि उन निर्दोष लोगों का क्या जिन्होंने ये दवाएं लीं?

बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत
 उच्चतम न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामों को स्वीकार करने से बुधवार को इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने ऐसा तब किया जब ‘‘उनकी गलती पकड़ ली गई.''न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हम इस मामले में इतने उदार नहीं बनना चाहते.''

अदालत ने क्या कहा? 
पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘मामले के पूरे इतिहास और अवमाननाकर्ताओं के पिछले आचरण को ध्यान में रखते हुए हम उनके द्वारा दायर नवीनतम हलफनामे को स्वीकार करने के अनुरोध पर अपनी आपत्ति व्यक्त करते हैं.'' न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की. शीर्ष अदालत ने प्राधिकरण के प्रति अप्रसन्नता जताते हुए कहा, ‘‘हम यह जानकर चकित हैं कि फाइलों को आगे बढ़ाने के अलावा राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने कुछ नहीं किया और वह चार-पांच साल से इस मुद्दे को लेकर ‘‘गहरी नींद'' में था.''

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