नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने उत्तर प्रदेश के कुछ शैक्षणिक संस्थानों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर, अल्पसंख्यक वर्ग और दिव्यांग छात्रों के लिए 75 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति निधि के कथित गबन से जुड़े मामले में 2.84 करोड़ रुपये के प्लॉट, एक फ्लैट और बैंक जमा को कुर्क किया है.
धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कुर्की का अस्थायी आदेश जारी किया गया है. इसके बात सैयद इशरत हुसैन जाफरी के नाम पर पंजीकृत 76,83,000 रुपये मूल्य के सात प्लॉट, उनकी पत्नी रचना जाफरी के नाम पर पंजीकृत 52,00,000 रुपये कीमत का एक फ्लैट, प्रवीण सिंह चौहान के नाम पर पंजीकृत 76,55,000 करोड़ रुपये की कीमत के दो प्लॉट और उनकी पत्नी हेमा सिंह के नाम पर पंजीकृत 240,00,000 रुपये मूल्य का एक प्लॉट शामिल है.
एजेंसी ने रवि प्रकाश गुप्ता द्वारा खरीदे गए राम एंड श्याम एजुकेशनल सोसाइटी के नाम पर पंजीकृत 35,50,000 रुपये मूल्य का एक प्लॉट और विक्रम नाग के बैंक खाते में जमा 19,69,000 रुपये को भी कुर्क करने का आदेश दिया है.
ईडी ने एक बयान में बताया कि इन संपत्तियों की कुल कीमत 2.84 करोड़ रुपये है. इससे पहले इस मामले में एजेंसी ने 3.24 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी और चार लोगों को गिरफ्तार किया था और आरोप पत्र भी दाखिल किया था.
ईडी ने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया गया है. एजेंसी ने आरोप लगाया कि हाइजिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट और एसएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के प्रबंधकों और न्यासियों ने अपने संस्थानों में 'फर्जी' छात्रों के दाखिले किए और सरकारी पोर्टल पर उनके नाम पर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया.
उसने आरोप लगाया कि प्राप्त छात्रवृत्ति को कॉलेजों के खातों में अंतरित कर दिया गया और उसके बाद पैसे को बैंक से निकाल लिया गया या व्यक्तिगत खातों में अंतरित कर दिया गया और इस तरह से करोड़ों रुपये के सरकारी धन का गबन हुआ.