सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के मनमाने, एकतरफा और भेदभाव पूर्ण इस्तेमाल पर कड़ी टिप्पणी की है . प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने सरकार और ईडी की ओर से दलील दे रहे एएसजी एसवी राजू से कहा कि आप जांच की आड़ में एक्ट के विभिन्न प्रावधानों में घालमेल कर उसे हल्का कर रहे हैं. चीफ जस्टिस एनवी रमना , जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आप PMLA के तहत दस हजार रुपए के मामले को सौ रुपए के मामले की गंभीरता और अपराध की तीव्रता पर अपनी मनमर्जी से एक जैसी ही कार्रवाई कर रहे हैं.
जस्टिस बोपन्ना ने आगे कहा कि आप सभी को सलाखों के पीछे नहीं डाल सकते, आपको तार्किक होना पड़ेगा.अगर आप सबको एक ही डंडे से हांकने लगेंगे तो कानून अपनी सार्थकता खो देगा.CJI ने कहा कि सभी मामलों में पीएमएलए का हथियार काम नहीं करेगा.ये काम काज का उचित तरीका नहीं है.दरअसल सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ के सामने सीबीआई की अर्जी थी.इसमें सीबीआई ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी नरेंद्र कुमार पटेल को अग्रिम जमानत पर मंजूरी दे दी थी जबकि पटेल के खिलाफ PMLA के अलावा आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के साथ 120 b के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2) 13(1xd) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने इन धाराओं के तहत इसी साल जनवरी में बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में नरेंद्र पटेल को गिरफ्तार किया.पटेल जय अम्बे गौरी केम लिमिटेड के निदेशक हैं.पटेल के अलावा झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उषा मार्टिन कम्पनी की विशेष अनुमति याचिका भी इसी बेंच के सामने सुनवाई के लिए मौजूद थी. इसमें झारखंड हाईकोर्ट ने आरोपी को समन रद्द करने की अपील मानने से इंकार कर दिया थायहां भी मामला पीएमएलए के तहत ही दर्ज किया गया था.इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर अगले आदेश तक आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी.