यूपी के रायबरेली में 10 वीं के दलित छात्र की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बताया जा रहा है कि रायबरेली में दबंगों ने छात्र की बेल्ट और बिजली केबल से खूब पिटाई की. फिर उससे अपने पैर भी चटवाए. ये घटना 10 अप्रैल के दिन की बताई जा रही है. इस घटना पर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा है कि यह कोई अचानक घटने वाली घटना नहीं है. बकायदा उसका वीडियो बनाया गया है. कोई जातिसूचक शब्द कह रहा है, कोई उसे बेल्ट से पीट रहा है. मेरी परिवार से बात हुई है, वह लोग डरे हुए थे. ऐसे गंभीर मुद्दे पर भी हंगामा करने के बाद अगर एफआईआर दर्ज होती है, तो देखिए क्या हालात है.
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि ये एक मामला नहीं है. ऐसे मामले देश में रोज होते हैं. इसका वीडियो वायरल करना ये संदेश देना होता है कि आज भी आपकी हैसियत ये है और हम आपको इसी लायक समझते हैं. ये गलत है. हम लगातार इसके खिलाफ काम करते हैं, पर लोग मानने को राजी ही नहीं हैं. जाति के आधार पर शोषण होता है.
बच्चे को पीटने के बाद पैर चटवाया गया. नौजवान पीढ़ी में ये सारी चीजें देखने को मिल रही हैं. स्कूल में तो पढ़ाया जाता है कि हम सब एक हैं. ये कहते हुए मुझे शर्म महसूस होती है कि यह घर से आता है. हमें घर से पता लगता है कि हम किस जाति के हैं. एक आठ साल का बच्चे जो स्कूल में पढ़ने गया है, उसे जातिवाद स्कूल नहीं सीखा रहा. उसे घर के परिवार लोग ही सिखाते हैं. बड़ी-बड़ी घटनाएं लंबित पड़ी रहती हैं. इससे अपराधियों के हौसले बढ़ जाते हैं.
चंद्रशेखर ने कहा कि मैं सोशल मीडिया का धन्यवाद देता हूं. इसके जरिए बड़ी-बड़ी घटनाओं के बारे में लोगों को पता चलता है और पुलिस पर दबाव बनता है. साथ ही भीम आर्मी के प्रमुख ने ये भी कहा कि एक झूठ फैलाया जाता है कि एससी-एसटी मुकदमों का दुरुपयोग होता है. सच ये है कि इन मुकदमों की कोई वैल्यू नहीं है. 60 दिन तक जब भी आप पुलिस के पास जाएंगे, वह कहेंगे की अभी जांच होगी. ताकतवर व्यक्ति झूठी एफआईआर करा देता है. गवाह खरीद लेता है और सजा नहीं होती. अंत में कहा जाता है कि मुकदमा झूठा है.
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