वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) पेश करेंगी. हर साल बजट आता है, तो नौकरीपेशा लोगों की नज़र इस बात पर होती है कि उसको टैक्स में कोई छूट मिल रही है या नहीं. बीते कई सालों से इस मोर्चे पर मायूसी मिलती रही है. मध्यवर्ग में ये शिकायत बढ़ी है कि सबसे ज़्यादा बोझ उसी पर है और सबसे ज़्यादा टैक्स उसी को देना पड़ता है. हालांकि, अब भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) टैक्स छूट (Income Tax Exemption) का वादा नहीं कर रहीं. बस ये कह रही हैं कि मिडिल क्लास (Middle Class) की तकलीफ़ वे समझ रही हैं.
संसद में बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांचजन्य को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मैं भी मिडिल क्लास की हूं... मिडिल क्लास के प्रेशर को मैं समझ पा रही हूं." उन्होंने याद दिलाया कि वर्तमान सरकार ने मध्यम वर्ग पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया है. उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर रखा है. सीतारमण ने कहा कि हमारी सरकार ने पूंजीगत खर्च को बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. इससे इकोनॉमी पर सकारात्मक असर देखने को मिला है.
हालांकि, मिडिल क्लास इससे संतुष्ट नहीं है कि उस पर नया टैक्स नहीं लगा है. उनकी शिकायत है कि कई साल से इनकम टैक्स में रियायत नहीं मिली है. एनडीटीवी ने ऐसे ही मिडिल क्लास सैलरीड लोगों से बात की. दिल्ली निवासी निर्मल कुमार कहते हैं, "टैक्स में राहत जरूर मिलनी चाहिए. महंगाई पिछले कुछ महीनों में काफी ज्यादा रही. लोगों की सैलरी अच्छी हो गई है. ऐसे में टैक्स में छूट मिलनी चाहिए. बचत नहीं हो पा रही है".
निर्मल कुमार के दोस्त तरुण ने कहा, "सेविंग फंड में भी जो पैसा हम जमा करते हैं वह टैक्स के दायरे में आ जाता है. लोग अपना गुजारा ठीक से कर सके, इसके लिए जरूरी है कि टैक्स रेट में राहत दी जाय. काफी समय हो गया टैक्स में राहत नहीं दी गई है. जो पैसा मिलता है उसमें हम बचत नहीं कर पा रहे हैं. टैक्स में राहत मिलेगी तो हमारी सेविंग बढ़ेगी".
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडस्ट्री के मुख्य अर्थशास्त्री एसपी शर्मा कहते हैं, 'अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी को देखते हुए अगर मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स को टैक्स में अगर राहत दी जाती है, तो इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा."
एसपी शर्मा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'इस समय सबसे जरूरी है की अर्थव्यवस्था में उपभोग मांग बढ़ाया जाए. यह तभी होगा जब मिली क्लास के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा. पिछले कुछ समय से मिडिल क्लास की इनकम स्थिर रही है. पिछले कुछ साल मुश्किल के साल रहे हैं. मिडिल क्लास पर अभी टैक्स का बोझ ज्यादा है. लोगों को टैक्स में राहत मिलेगी तो उपभोग मांग भी बढ़ेगा. लोग ज्यादा खर्च करेंगे . इससे अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा. हम मानते हैं कि बजट में मिडिल क्लास को अच्छी राहत दी जानी चाहिए".
हालांकि, काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के डायरेक्टर नित्यानंद के मुताबिक मौजूदा हालात में वित्त मंत्री के लिए टैक्स में ज्यादा राहत देना मुश्किल हो सकता है. उन्होंने कहा, 'मिडिल क्लास की तरफ से टैक्स में राहत की मांग की जा रही है. यह मांग तर्कसंगत भी है. काफी सालों से टैक्स में राहत नहीं दी गई है, लेकिन अभी सरकार के लिए ये राहत देना मुश्किल है. थोड़ा बहुत टैक्स में छूट की सीमा बढ़ सकती है, लेकिन राहत देने के लिए सरकार के पास ज्यादा स्पेस नहीं है".
जबसे निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री बनी हैं, मिडिल क्लास को यह उम्मीद रही है कि उसे बजट में टैक्स रेट में कुछ राहत मिलेगी. कोरोना वायरस के दौरान आम लोगों की कमाई पर असर पड़ा. पिछले साल महंगाई दर भी काफी ज्यादा रही है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार बजट में वित्त मंत्री के पिटारे से मिडिल क्लास के लिए क्या खास निकलता है.
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