शिवसेना बनाम शिवसेना मामले की सुनवाई के दौरान पांच जजों के संविधान पीठ ने फिर से उद्धव ठाकरे गुट पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अब हम मामले में क्या राहत दे सकते है ? हम कैसे घड़ी की सुईयों को पीछे कर सकते हैं. ऐसे मामले में अदालत कैसे दखल दे ? CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, तो हमें पता होना चाहिए कि क्या आप इस धारणा पर आगे बढ़ रहे हैं कि घटनाओं से आगे निकलने के बावजूद हम घड़ी को वापस सेट कर सकते हैं. इसका मतलब यह भी है कि हमें उस विश्वास मत को भी अमान्य करना है जो कभी हुआ ही नहीं. हम आपस में इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि इस चरण में किस तरह की राहत पर विचार किया जाए. क्या अदालत को उस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए? इसके बहुत गंभीर परिणाम हैं.
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत ने इसे अतीत में किया है. मैं आपको भविष्य के लिए मनाने की आशा करता हूं. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह दो तरह का हो सकता है. एक कि स्पीकर पर निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में भरोसा नहीं किया जा सकता है. सिब्बल ने कहा, मैं इसे वापस लेता हूं.
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CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरा यह होगा कि तथ्य इतने स्पष्ट हैं कि आप फैसला लें. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है जो आपने उठाया है. लेकिन अगला बिंदु - परिणाम क्या है? आप पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में चुने गए हैं और आपका व्यवहार पार्टी द्वारा तय किया जाना चाहिए. सही हो या गलत. यह वह व्यवस्था है जिसे हमने हम लोगों के रूप में मान लिया है. जब अदालत कोशिश करे और सिस्टम को भंग करे तो ये हमें चिंतित करता है. आप कह रहे हैं कि यह पार्टी के इशारे पर था. इन्होंने जो कुछ किया वह कानून के विपरीत था और अयोग्यता को आमंत्रित किया. यह सब हमें इस ओर ले जाता है. उन्होंने एक अयोग्यता अर्जित की है. लेकिन हमारा सवाल ये है कि अदालत इसमें कैसे दखल दे.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि आज हमारे पास लोकतांत्रिक रूप से चुने गए सदन में एक स्पीकर है. कल संसद में आपका स्पीकर हो सकता है. क्या SC यह कह सकता है कि खेद है कि अब हम स्पीकर के जनादेश को ओवरराइड कर रहे हैं? स्पीकर जो अब स्पीकर नहीं है उसे हम कैसे फिर से पद पर नियुक्त कर सकते हैं. कोर्ट का आदेश भी आपके स्पीकर की वजह से है. यदि न्यायिक आदेश के कारण कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो अदालत का कर्तव्य है कि वह अपने स्वयं के आदेश के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई स्थिति को सुधारे. लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ है .
सिब्बल ने कहा कि वे पार्टी के अनुशासन से चलते हैं. सदन के नेता और मुख्य सचेतक की नियुक्ति के प्रस्ताव को पार्टी की बैठक में पारित नहीं किया गया. इन्हें विधायक दल की बैठक में पारित किया गया. शिंदे गुट द्वारा नियुक्त किया गया मुख्य सचेतक "स्वयं अवैध है. विधायिका के सदस्य इस तरह का प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते, व्हिप की अवहेलना नहीं कर सकते, व्हिप को हटा नहीं सकते. वह (शिंदे) विधानसभा के सदस्य के एक समूह के नेता के रूप में कार्य कर रहे हैं. इसलिए किसी भी विधानसभा में 10 लोग एक साथ मिल सकते हैं और व्हिप हटा सकते हैं और फिर वे विपरीत पार्टी में जा सकते हैं और सरकार को अस्थिर कर सकते हैं और उनका अपना सीएम हो सकता है. यदि इसे वैध माना जाता है तो यह परिणाम है. अंकगणित के आधार पर एक निर्वाचित सरकार को कभी भी हटाया जा सकता है. यह किसी भी लोकतंत्र, किसी भी विधायिका में अनसुना है.