'भूरा बाल साफ करो..' क्या है इस नारे का सच,जानें- लालू प्रसाद के जीवनीकार ने क्या बताया

बिहार में लालू प्रसाद यादव के कथित नारे 'भूरा बाल साफ करो' पर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है. इस नारे की सच्चाई के बारे में बता रहे हैं लालू की जीवनी लिखने वाले पत्रकार नलिन वर्मा.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन ने मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान के विरोध में राज्यव्यापी चक्काजाम किया.
  • गया के एक धरना-प्रदर्शन में एक व्यक्ति ने 'भूरा बाल साफ करो' नारा लगाया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
  • 'भूरा बाल साफ करो' नारा 1990 के दशक में लालू यादव को सवर्ण विरोधी बताने के लिए इस्तेमाल हुआ था, लेकिन उनकी पार्टी राजद इससे इनकार करती है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्ली:

बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है. इससे पहले राज्य का राजनीतिक माहौल गर्म है. इस बीच बुधवार को राज्य के विपक्षी गठबंधन ने चक्काजाम का आयोजन किया. यह चक्काजाम बिहार में हो रहे मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान के विरोध में आयोजित किया गया था. इस दौरान पूरे राज्य में विपक्षी कार्यकर्ता सड़क पर उतरे थे. इस बीच गया जी के एक कस्बे में मंगलवार को आयोजित एक धरना-प्रदर्शन में एक व्यक्ति ने 'भूरा बाल साफ करो' का नारा लगाया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. जब यह नारा लगा तो वहां अतरी से राजद के विधायक रंजीत यादव भी मौजूद थे.  

एक बार फिर क्यों चर्चा में है यह नारा

सोशल मीडिया पर वायरल में वीडियो में उस व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है,''लालू यादव ने शुरू में कहा था, 'भूरा बाल साफ करो'. अब वही समय आ गया है.'' राजद विधायक ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया. उनका कहना है कि राजद सबकी पार्टी और सबके लिए काम करती है. उन्होंने इस बयान की कड़ी निंदा की है. 

दरअसल 'भूरा बाल साफ करो' में भू का आशय भूमिहार, रा का आशय राजपूत, बा का आशय ब्राह्मण और ला का आशय का लाला (कायस्थ) से है. इस नारे का इस्तेमाल 1990 के दशक में लालू यादव को सवर्ण विरोधी बताने का नैरेटिव खड़ा करने के लिए किया गया था. हालांकि लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल इस नारे से अपना कोई संबंध होने से लगातार इनकार करती रही है. राजद का कहना है कि पार्टी के संस्थापक लालू प्रसाद ने इस तरह का नारा कभी नहीं दिया.

Advertisement

क्या कहना है लालू की जीवनी लिखने वाले पत्रकार का

वरिष्ठ पत्रकार नलिन वर्मा ने 'Gopalganj to Raisina Road' शीर्षक से लालू प्रसाद यादव की जीवनी लिखी है. यह किताब अप्रैल 2019 में आई थी. इस नारे को लेकर 'एनडीटीवी' ने नलिन वर्मा से बात की. उन्होंने बताया कि  यह 1996-96 की बात है. उन्होंने कहा कि यहां के एक अखबार में एक रिपोर्ट में छपी थी, उसी में इस नारे का जिक्र था. यह बात लालू प्रसाद यादव के हवाले से कही गई थी. लेकिन उस अखबार को छोड़कर किसी और अखबार में इस तरह के किसी नारे का जिक्र नहीं था. 

Advertisement

वर्मा ने बताया कि खबर छपने के बाद लालू यादव ने अगले दिन अपनी पार्टी के नेताओं की एक बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने इस पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि वो मंडल आयोग के समर्थक हैं और पिछड़ों के हितों की बात तो करते हैं, लेकिन इस तरह की बात वो नहीं करते हैं. उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हें सलाह दी कि इस मामले में वो मुकदमा दर्ज कराएं. लालू ने सबकी बात सुनी लेकिन पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई. उन्होंने कहा कि लालू ऐसे व्यक्ति नहीं है कि वो मीडिया को इस तरह से दबाएं. 

Advertisement

उन्होंने बताया कि इसके अगले दिन वो और अन्य पत्रकार लालू प्रसाद यादव के पास पहुंचे. उन्होंने बताया कि इस नारे को लेकर सवाल करने पर लालू प्रसाद यादव उखड़ गए. उन्होंने पूछा कि वो इतने दिनों से लोगों में भाषण दे रहे हैं,क्या आप लोगों ने कभी ऐसी बात करते हुए मुझे सुना है. उन्होंने इस पूरी खबर का खंडन करते हुए उसे झूठा बताया था.  

Advertisement

ये भी पढ़ें: बिहार वोटर लिस्ट संशोधन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, चुनाव आयोग बोला, 'हमें याचिकाओं पर आपत्ति'

Featured Video Of The Day
Delhi-NCR Heavy Rain: Gurugram का जो हाल हुआ, वो क्यों हर शहर को डरा रहा है? | Khabron Ki Khabar
Topics mentioned in this article