हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में हुई मूसलाधार बारिश से आई बाढ़ के दौरान शिमला के समर हिल में रेल पटरियों का एक हिस्सा हवा में लटक गया है, क्योंकि इसके नीचे की मिट्टी बह गई है. ये पटरियां देश के विशाल रेलवे नेटवर्क के किसी अन्य हिस्से की नहीं हैं, बल्कि ऐसी पटरियां हैं, जिन्होंने कई लोगों की बचपन की यादों को आकार दिया है. यह यूनेस्को विश्व धरोहर आकर्षण कालका और शिमला के बीच टॉय ट्रेन लाइन है.
इस लाइन पर ट्रेन में चढ़ने वालों के लिए 96 किलोमीटर की यात्रा कालका से शुरू होती है और ट्रेन धीरे-धीरे सुंदर पहाड़ियों और जंगलों से गुजरते हुए शिमला की ओर बढ़ती है. इस पूरी यात्रा में लगभग पाँच घंटे लगते हैं, क्योंकि ट्रेन सुरम्य परिदृश्य के बीच से होकर गुजरती है, जिससे पर्यटकों को महानगरों की भीड़ से एकांतवास का आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय मिलता है.
हिमाचल प्रदेश में हुई ज़ोरदार बारिश और उसके कारण हुए भूस्खलन से कालका-शिमला रेल लाइन को भी नुक़सान पहुंचा है. ट्रैक के नीचे से मिट्टी बह गई है और ट्रैक का बड़ा हिस्सा हवा में लटक रहा है. इसे ठीक करने में क़रीब 15 करोड़ का ख़र्च आएगा और 10 सितंबर से पहले ये मुमकिन नहीं हैं.
इस आपदा के परिणाम ने अब सदियों पुरानी पटरियों पर टॉय ट्रेन के पहियों की खड़खड़ाहट को खामोश कर दिया है. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, पटरियों की मरम्मत के काम में करीब एक महीना लगेगा और करीब 15 करोड़ रुपये का फंड आएगा.
लटकती पटरियों के पास खड़े होकर, कोई भी आपदा रिस्पॉन्स टीमों को उस मंदिर के स्थान पर काम करते हुए देख सकता है, जो बारिश के प्रकोप के दौरान ढह गया. यहां से अब तक कम से कम 13 शव बरामद किये जा चुके हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि जब आपदा आई, तो लोग सावन की पूजा के लिए बड़ी संख्या में मंदिर में एकत्र हुए थे.
अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण ढही इमारतों के मलबे से बुधवार को और शव निकाले जाने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गई. हिमाचल प्रदेश में रविवार से हो रही भारी बारिश के कारण शिमला के समर हिल, कृष्णा नगर और फागली इलाकों में भूस्खलन हुए थे. प्रमुख सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने कहा, "पिछले तीन दिनों में कम से कम 71 लोगों की मौत हो चुकी है और 13 अभी भी लापता हैं. रविवार रात से अब तक 57 शव बरामद किए जा चुके हैं."
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