भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने प्रयागराज (Prayagraj) में आयोजित समारोह में 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को अयोग्य घोषित करने के फैसले का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “1975 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने उस फैसले को पारित किया जिसने देश को हिलाकर रख दिया, जब उन्होंने इंदिरा गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया. यह बड़ा साहसिक फैसला था, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि इसका सीधा परिणाम आपातकाल की घोषणा का था. जिसके परिणाम मैं अभी विस्तार से नहीं बताना चाहता.”
CJI ने कहा इलाहाबाद उच्च न्यायालय का 150 से अधिक वर्षों का इतिहास है. इलाहाबाद बार और बेंच ने देश के कुछ महान कानूनी दिग्गजों को पैदा किया है. संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, पंडित मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू और पुरुषोत्तम दास टंडन सभी इसी बार के सदस्य थे.
प्रसिद्ध चौरी चौरा मामले में इस उच्च न्यायालय के समक्ष पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा अपील की गई थी. इस बार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और हमारे संविधान के निर्माण में एक अमिट छाप छोड़ी है.
उन्होंने कहा, “ मुझे उम्मीद है कि आप इस ऐतिहासिक बार की असाधारण विरासत, परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे. मैं आप सभी से नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह करता हूं.
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