सुप्रीम कोर्ट ने पकडौआ विवाह' या "जबरन विवाह' से जुड़े एक मामले में पटना हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल लगाई रोक

दरअसल नवंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के एक मामले को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विवाह का पारंपरिक हिंदू रूप ‘सप्तपर्व’ और ‘दत होम’ के अभाव में वैध नहीं होता है. यदि ‘सप्तपदी’ पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने पकड़ौआ विवाह (Supreme Court on Pakadwa Vivah) को रद्द करने वाले पटना हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट कहा कि इस पर नोटिस जारी करेंगे. कोर्ट ने कहा है क‍ि अगले आदेश तक फैसले के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगी रहेगी. दरअसल नवंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के एक मामले को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विवाह का पारंपरिक हिंदू रूप ‘सप्तपर्व' और ‘दत होम' के अभाव में वैध नहीं होता है. यदि ‘सप्तपदी' पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा.

हाईकोर्ट के समक्ष दायर अर्जी में याचिकाकर्ता (एक सैन्यकर्मी) ने कहा कि बंदूक की नोक पर उसे शादी के लिए मजबूर किया गया था.  बिना किसी धार्मिक या आध्यात्मिक अनुष्ठान के उसे लड़की की मांग में सिंदूर भरने के लिए मजबूर किया गया था.

दूसरी तरफ लड़की का कहना था कि उसकी शादी जून 2013 में सारे हिंदू हिंदू रीति-रिवाजों के तहत हुई. शादी के समय उसके पिता ने उपहार में सोना, 10 लाख रुपये और अन्य सामग्री भी दी थी. ⁠पकड़ौआ विवाह में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है.

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