"एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसे पार नहीं किया जा सकता": राजद्रोह कानून पर SC के फैसले पर बोले कानून मंत्री

चीफ जस्टीस ने कहा है कि केंद्र सरकार राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार करेगी. हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य 124ए के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह कानून पर तब तक रोक रहेगी, जब तक इसका पुनरीक्षण न हो. साथ ही राजद्रोह कानून के सभी लंबित मामलों पर रोक लगाने का आदेश भी दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का बयान आया है. जिसमें किरेन रिजिजू ने कहा है कि वो कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं. एक "लक्ष्मण रेखा" है जिसे पार नहीं किया जा सकता है.

"कानून मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, "हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे के बारे में अदालत को सूचित किया है. हम अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसका सम्मान सभी अंगों द्वारा किया जाना चाहिए. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का सम्मान करें.

हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं, अदालत को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए. इसी तरह से सरकार को भी अदालत का सम्मान करना चाहिए. हमारे पास सीमा का स्पष्ट सीमांकन है और किसी को भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए." वहीं कानून मंत्री इस सवाल से बचते रहे कि क्या उन्हें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत था.

दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के सभी मामलों पर रोक लगा दी है और इस केस में बंद लोग बेल के लिए कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि नई एफआईर होती है, तो वे कोर्ट जा सकते हैं. इसका निपटारा जल्द से जल्द कोर्ट करें. चीफ जस्टीस ने कहा है कि केंद्र सरकार कानून पर पुनर्विचार करेगी.  हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य 124ए के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे. 

VIDEO: "कोई नया केस दर्ज करना ठीक नहीं होगा": राजद्रोह केस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा

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