सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या जम्मू-कश्मीर का संविधान हमारे संविधान पर हावी है?

अनुच्छेद 370 के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 9 वें दिन याचिकाओं पर दलीलें पूरी हुईं, गुरुवार से सरकार की ओर से दलीलें रखी जाएंगी

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

अनुच्छेद 370 के मामले में संविधान पीठ में 9 वें दिन याचिकाओं की दलीलें पूरी हुईं. गुरुवार को केंद्र सरकार दलीलें रखना शुरू करेगी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, क्या संविधान सभा समाप्त होने पर धारा 370 का क्रियान्वयन समाप्त नहीं हो जाएगा? अनुच्छेद 370 शुरू से ही अस्थायी प्रकृति का है. अनुच्छेद 370 को स्थायी बनाने का इरादा कभी नहीं था. अनुच्छेद 370 इस पर चुप है कि संविधान सभा बनने के बाद नियम क्या होना चाहिए. क्या किसी संघीय इकाई का संविधान कभी संघीय इकाई के स्रोत से ऊपर उठ सकता है? 

उन्होंने कहा कि, क्या यह आवश्यक नहीं है कि जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा के कार्य को इसे क्रियाशील बनाने के लिए इस संविधान में शामिल किया जाए? क्या जम्मू-कश्मीर का संविधान हमारे संविधान पर हावी है? क्या इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा द्वारा कही गई कोई भी बात संसद को बाध्य करेगी? 

संविधान सभा समाप्त होने पर 370 का संचालन समाप्त हो जाता है

चीफ जस्टिस ने कहा कि, इसे स्थायी बनाने के लिए संसद द्वारा कुछ अधिनियम की आवश्यकता थी या भारतीय संविधान में कुछ बदलाव किए गए थे. संसद ने अब तक ऐसा नहीं करने का फैसला किया, लेकिन इसे निरस्त करने का निर्णय लिया, और खंड 3 में इसकी प्रक्रिया है. जब संविधान सभा समाप्त हो जाती है तो 370 का संचालन समाप्त हो जाता है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि, मुद्दा यह है कि अनुच्छेद 370 स्वयं सीमित नहीं है. जब संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और यदि नहीं तो हम कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर का संविधान हमारे संविधान से आगे निकल जाता है, क्या ऐसा नहीं है? क्या इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा द्वारा कही गई कोई भी बात हमारे देश और हमारी संसद को बांधती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका कारण जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों में विलय करना था.

Advertisement

370 स्वयं ऐसे तौर-तरीके प्रदान करता है जिसके द्वारा इसे समाप्त किया जा सकता है

चीफ जस्टिस ने कहा कि, मुद्दा एक सवाल का है. क्या यह संविधान सभा के लिए आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त था  या संसद द्वारा कुछ अधिनियम की आवश्यकता थी ताकि भारतीय संविधान में कुछ बदलाव किए जा सकें, इसे स्थायी बनाएं? क्या इसे स्थायी स्वरूप देने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता थी. क्या इसे केवल संविधान सभा के निर्णय तक स्थायी रखा गया था. संविधान सभा के समाप्त होते ही ये शक्ति पूर्णतः समाप्त हो जाती है. 370 स्वयं ऐसे तौर-तरीके प्रदान करता है जिसके द्वारा इसे समाप्त किया जा सकता है. 370 (3) विशेष रूप से निरस्तीकरण के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का प्रावधान करता है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि, एक बार जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि कानून बनाने वाली संस्था के रूप में संसद के पास धारा 370 में संशोधन करने या उसे निरस्त करने की शक्ति है, तो कोई भी संशोधन नैतिकता के आधार पर आलोचना का विषय हो सकता है, लेकिन शक्ति के आधार पर नहीं. यह एक राजनीतिक तर्क हो सकता है, न कि संवैधानिक शक्ति के अभाव में. 

Advertisement

दोनों संविधान एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से गोपाल शंकरनारायणन ने कहा, दोनों संविधानों के बीच एक पुल है. वे एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं. यह एक स्पष्ट बंधन बनाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह अगले हफ्ते सोमवार से गुरुवार तक मामले की सुनवाई करेगा. पहले यह सुनवाई तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार हो रही थी, लेकिन अगले हफ्ते से आर्टिकल 370 के मामले की सोमवार 28 अगस्त से लगातार 4 दिन तक संविधान पीठ सुनवाई करेगी. 

Featured Video Of The Day
IND vs PAK Champions Trophy: Pakistan के खिलाफ Virat Kohli ने जड़ा अर्धशतक
Topics mentioned in this article