सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों ( EWS) के लिए 10 फीसदी आरक्षण की बात कर रही है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहां केंद्र सरकार ने EWS आरक्षण को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि EWS कोटा SC/ ST वर्ग के अधिकारों में कटौती नहीं करता. SC/ ST वर्ग आरक्षण के लाभ से लदे हुए हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला के संविधान पीठ के सामने केंद्र ने ये दलीलें रखीं.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई जारी है. केंद्र की ओर ये AG के के वेणुगोपाल ने कहा.103वां संविधान संशोधन समाज के कमजोर वर्गों के लिए सक्षम प्रावधानों की एक श्रृंखला स्थापित करने के लिए लाया गया.
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी सहित पिछड़े वर्गों में प्रत्येक के भीतर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग शामिल हैं. हालांकि, अगड़े वर्गों या सामान्य श्रेणियों में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग शामिल हैं, जो बेहद गरीब हैं. संशोधन के माध्यम से राज्य ने ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सकारात्मक कार्रवाई प्रदान की, जिन्हें मौजूदा आरक्षण के तहत लाभ नहीं मिला. सामान्य तौर पर, जब तक वे यह नहीं दिखाते कि इस संशोधन ने उन्हें सीधे प्रभावित किया है, इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. सामान्य वर्ग में एक वर्ग है जो बेहद गरीब है, यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग. तमिलनाडु में, कुल आरक्षण 69% है.
इस देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की कुल जनसंख्या 25% है. कुल जनसंख्या का 18.2% सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हैं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण 50% की अधिकतम सीमा को प्रभावित नहीं करता है. 10% आरक्षण पिछड़े वर्गों को दिए गए आरक्षण से पूरी तरह स्वतंत्र है. यह उनके अधिकारों का हनन नहीं करता है. यह 50% से स्वतंत्र है. SC/ ST को पदोन्नति के माध्यम से एक विशेष प्रावधान दिया जा रहा है, उन्हें पंचायत में , नगर पालिकाओं में, लोक सभा में, विधानसभा में आरक्षण प्रदान किया गया है.