अदालत ने आरोपियों की संपत्तियां ढहाने से राज्य सरकार को रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमथ और न्यायमूर्ति पी के कौरव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,‘‘ हमारा विचार है कि इस याचिका को जनहित याचिका के तौर पर विचारार्थ स्वीकार करना उचित नहीं होगा. ’’

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याचिका में इस प्रकार की ध्वस्तीकरण कार्रवाई नहीं करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
जबलपुर:

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को उन मामलों के ब्योरे देने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, जहां पुलिस ने कथित तौर पर ‘कानून के अधिकार के बिना' विभिन्न मामलों में आरोपियों या संदिग्धों के घरों अथवा ढांचों को गिराया है. याचिका में सरकार को इस प्रकार की ध्वस्तीकरण कार्रवाई नहीं करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था.

मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमथ और न्यायमूर्ति पी के कौरव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,‘‘ हमारा विचार है कि इस याचिका को जनहित याचिका के तौर पर विचारार्थ स्वीकार करना उचित नहीं होगा. ''

आदेश में कहा गया, ‘‘अगर याचिकाकार्ता का मामला स्वीकार भी किया जाए कि कुछ लोगों के कुछ मकान ढहा दिए गए हैं, यकीनन उन व्यक्तियों के पास खुद के और अपनी संपत्ति के बचाव का कानूनी अधिकार है....''

अदालत ने अपने आदेश में कहा,‘‘हम वर्तमान याचिकाकर्ता की ओर से पेश इस याचिका पर सुनवायी का कोई कारण नहीं पाते.''

आदेश में कहा गया कि तदनुसार याचिका खारिज की जाती है. अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने यह याचिका दायर कर राज्य सरकार को मामलों के ब्योरे उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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