तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राज्य के राज्यपाल द्वारा लंबित रखने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप तमिलनाडु के राज्यपाल (आर एन रवि) से कहिए कि मुख्यमंत्री से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें. दरअसल कोर्ट लंबित विधेयकों के मुद्दे पर राज्यपाल के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लिया कि राज्यपाल ने अब पुन: अपनाए गए विधेयकों को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया है.
पीठ ने कहा, ‘‘हम चाहेंगे कि राज्यपाल गतिरोध को सुलझा लें. यदि राज्यपाल मुख्यमंत्री के साथ गतिरोध को सुलझा लेते हैं तो हम इसकी प्रशंसा करेंगे. मुझे लगता है कि राज्यपाल आर एन रवि को मुख्यमंत्री को आमंत्रित करना चाहिए और वे बैठ कर इस बारे में चर्चा करें.'' पीठ ने सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की.
संविधान के अनुच्छेद 200 का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि राज्यपाल के कार्यालय द्वारा लौटाये जाने पर जिन विधेयकों को विधानसभा ने पुन: अपनाया है, उन्हें राज्यपाल राष्ट्रपति को नहीं भेज सकते.
शीर्ष अदालत तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्यपाल रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाया गया था.
18 नवंबर को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन द्वारा पारित और राज्यपाल आरएन रवि द्वारा लौटाए गए 10 विधेयकों पर विचार करने के लिए राज्य विधानसभा में एक विशेष प्रस्ताव पेश किया था. राज्यपाल के पास 12 विधेयक लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को ''गंभीर चिंता का विषय'' बताया है.
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