सुप्रीम कोर्ट ने वाईएस विवेकानंद रेड्डी मर्डर केस की सुनवाई आंध्र प्रदेश से हैदराबाद ट्रांसफर की

अदालत ने कहा, 'सीबीआई द्वारा जांच निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए. गवाहों के बयान आदि में आसानी के लिए ट्रायल हैदराबाद में होगा.' सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की बेटी की याचिका पर ये फैसला सुनाया है.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के ट्रायल को आंध्र प्रदेश से विशेष सीबीआई कोर्ट (CBI Court) हैदराबाद में ट्रांसफर कर दिया है. कोर्ट ने माना कि यह आंध्र प्रदेश के अलावा किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर के लिए एक उपयुक्त मामला है. जस्टिस एमआर शाह ने कहा, 'यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता की आशंका सही नहीं है कि निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है या बड़ी साजिश है. बल्कि याचिकाकर्ता को न्याय पाने का मौलिक अधिकार है.'

कोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश राज्य के अलावा अन्य दूसरे राज्य मे भी स्थानांतरित करने के लिए एक उपयुक्त मामला है, क्योंकि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद गवाहों की आसानी के लिए केस को हैदराबाद में सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित किया जाएगा. सारी चार्जशीट और सप्लीमेंट्री चार्जशीट वहीं ट्रांसफर की जाएगी.

अदालत ने कहा, 'सीबीआई द्वारा जांच निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए. गवाहों के बयान आदि में आसानी के लिए ट्रायल हैदराबाद में होगा.' सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की बेटी की याचिका पर ये फैसला सुनाया है.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की चचेरी बहन विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता नरेड्डी द्वारा दायर याचिका पर ट्रांसफर का आदेश दिया. विवेकानंद रेड्डी की पत्नी (विधवा), जिनकी मार्च 2019 में कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला में उनके आवास पर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, एक सह-याचिकाकर्ता थीं.

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पीठ ने आदेश में कहा, "तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह नहीं कहा जा सकता है कि मृतक की बेटी और पत्नी होने के नाते याचिकाकर्ताओं की ओर से आशंका है कि निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है और आगे की जांच के संबंध में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता मृतक की बेटी और पत्नी होने के नाते पीड़ित के रूप में प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है. उनकी वैध अपेक्षा है कि आपराधिक मामलों की सुनवाई निष्पक्ष तरीके से हो."

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