चित्रकूट जेल एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद करेगा सुनवाई

यूपी के चित्रकूट जेल में पिछले साल हुए एनकाउंटर और यूपी में एनकाउंटर को बढ़ावा देने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलेस्टिक एक्सपर्ट, फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट, कमीशन ऑफ इंक्वायरी रिपोर्ट कोर्ट और याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से रिपोर्ट्स पर अपना जवाब दो हफ्ते में दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई नवंबर के आखिरी हफ्ते में होगी.

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नई दिल्ली:

यूपी के चित्रकूट जेल में पिछले साल हुए एनकाउंटर और यूपी में एनकाउंटर को बढ़ावा देने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलेस्टिक एक्सपर्ट, फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट, कमीशन ऑफ इंक्वायरी रिपोर्ट कोर्ट और याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से रिपोर्ट्स पर अपना जवाब दो हफ्ते में दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई नवंबर के आखिरी हफ्ते में होगी.

यूपी सरकार ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि चित्रकूट मामले में इंक्वायरी हुई है, जिनका एंकाउंटर चित्रकूट में हुआ. वह अपराधी थे और उनपर कई आपराधिक मामले पहले से ही चल रहे थे. याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि राज्य की हिंसा की नीति रोकी जानी चाहिए. क्योंकि सीएम विधानसभा में एंकाउंटर को लेकर बयान देते हैं. न्यायिक जांच में कई तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया गया, इसमें स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. मैं यूपी का रहने वाला हूं और राज्य की एंकाउंटर नीति से चिंतित हूं. चित्रकूट में जिन तीन लोगों को मारा गया, वह फर्जी एंकाउंटर था, इसलिए स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है.

पिछले साल चित्रकूट जेल में शार्प शूटर अंशु दीक्षित और पश्चिम के कुख्यात बदमाश मुकीम काला और पूर्वांचल के अपराधी मेराज अहमद के बीच गैंगवॉर हो गई थी, जिसमें अंशु दीक्षित ने 9MM की पिस्टल से मुकीम काला और मेराज अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी थी, इतना ही नहीं उसने पांच बंदियों को बंधक भी बना लिया. तत्काल पुलिस फोर्स के साथ PAC मौके पर पहुंची तो अपराधी अंशु दीक्षित ने पुलिस पर फायरिंग कर दी. इसके बाद पुलिस ने कथित तौर पर एनकाउंटर करते हुए अंशु दीक्षित को वहीं मार गिराया था.

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10 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को ‌ नोटिस जारी कर 31 अक्टूबर तक राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. याचिकाकर्ता वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने चित्रकूट हत्याकांड की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि‌ विधानसभा में ही राजनीतिक नेता कहते हैं कि अपराधी ठोंक दिए जाएंगे. 

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने यूपी सरकार से कहा था कि मामले में कोई जांच हुई है? यूपी सरकार की ओर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि‌ जांच आयोग अधिनियम के तहत जज की नियुक्ति की गई और विधानसभा में रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ जेल अधिकारियों और अन्य को दोषी पाए गए और विभागीय कार्यवाही भी हुई है. 

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दरअसल, पिछले साल चित्रकूट जिला जेल गैंगवार और एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. अदालत से मामले की जांच सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग की गई है. वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि चित्रकूट जिला जेल में जिस तरह पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, वह बेहद ही संदिग्ध है. याचिका में अदालत से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद राज्य में 18 मार्च 2017 से अब तक हुई सभी गैर न्यायिक हत्याओं की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या एनआईए से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुलेतौर पर एनकाउंटर व गैर न्यायिक  हत्याओं का समर्थन कर रहे है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री का यह बयान रिकॉर्ड पर है कि यूपी में गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा. याचिका में बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या, विकास दुबे एनकाउंटर का हवाला देते हुए कहा गया है कि वर्ष 2017 के बाद सैकड़ों एनकाउंटर के मामले हुए हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा देने की बजाए एनकाउंटर के जरिए जान लेकर सजा दी जा रही है.

बसपा विधायक मुख्तार अंसारी गिरोह के एक सदस्य समेत तीन विचाराधीन कैदियों की 14 मई 2021 को चित्रकूट जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया. याचिका में कहा गया है कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर ऐसे ही गैर न्यायिक हत्याओं की जांच नहीं की गई तो राज्य की एजेंसियां कभी भी किसी भी नागरिक की जान ले सकती है. इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से अब तक सैकड़ों लोगों की हत्याएं होने के साथ ही सैकड़ों मुठभेड़ हुईं जो न केवल चिंताजनक हैं बल्कि परेशान करने वाली बात भी हैं.

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