सुप्रीम कोर्ट ने बंद की किसान आंदोलन के चलते हाईवे जाम करने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई

किसानों का धरना खत्म होने के कारण यह याचिका निष्प्रभावी हो गई है. जस्टिस संजय किशन ने याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल से कहा कि क्या अब वो खुश हैं क्योंकि रास्ते खुल चुके हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने बंद की किसान आंदोलन के चलते हाईवे जाम करने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई
UP Assembly Election: किसानों का धरना खत्म होने के कारण यह याचिका निष्प्रभावी हो गई है.
नई दिल्ली:

किसानों का सड़कों पर धरना खत्म होने के बाद इस मामले में हाईवे जाम करने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी. किसानों का धरना खत्म होने के कारण यह याचिका निष्प्रभावी हो गई है. जस्टिस संजय किशन ने याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल से कहा कि क्या अब वो खुश हैं क्योंकि रास्ते खुल चुके हैं. अब वो आसानी से आ-जा सकती हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत से आग्रह है कि ये भविष्य में फिर से ना हो. सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि वो इस मामले में बार-बार ये कह चुके हैं कि विरोध के लिए सड़कों पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई  की. पिछली सुनवाई में किसानों द्वारा हाईवे जामकर करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों को अनिश्चितकाल तक के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. संयुक्त किसान मोर्चा के 43 किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने को कहा था.

वैसे केंद्र के तीनों कानूनों को वापस लेने के बाद किसानों ने सड़कें खाली कर दी हैं. दरअसल हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त किसान मोर्चा के तहत 43 किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में नेताओं राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल का नाम शामिल है. इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्तूबर को किसान संगठनों को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया था.

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सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया था कि अदालत ने इस मामले में पहले व्यवस्था दी है. ऐसे में सरकार हमसे ये ना कहे कि हम नहीं कर पा रहे हैं. हाईवे और सड़कों को जाम नहीं किया जाना चाहिए. कानून पहले ही निर्धारित किया जा चुका है. हम इसे बार-बार नहीं दोहरा सकते. इसे लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है.

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जस्टिस एस के कौल ने कहा न्यायपालिका कार्यपालिका पर अतिक्रमण नहीं कर सकती. किसानों को शिकायत हो सकती है, लेकिन सड़क पर फंसी जनता को भी उनसे शिकायत है. किसानों की शिकायतों के निवारण के
उचित न्यायिक मंच और अन्य विकल्प हैं, लेकिन ये अवरोध बार-बार नहीं हो सकते. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को किसानों को पक्षकार बनाने की इजाजत दी थी.

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SG तुषार मेहता ने कहा था, हमने समितियों का गठन किया और किसानों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे इस मामले में पक्षकार नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालतों ने जो निर्धारित किया है, उसे आपको लागू करना होगा, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि कोई इस मामले में पक्षकार बने तो आपको आवेदन दाखिल करना होगा. बताएं कि आपने अब तक क्या किया है.

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इससे पहले, हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों को हाईवे से जाम हटाने के लिए मनाने की कोशिश जारी रहेगी. 

नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में कहा गया था कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं और इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इन सड़कों को खोला जाना चाहिए.

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