SC ने TV चैनलों की खबरों पर उठाए सवाल, NBA से स्व-नियामक तंत्र मजबूत करने के मांगे सुझाव

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम आपकी बात से सहमत हैं कि यह एक वैधानिक निकाय नहीं है, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने जो कहा हम उसके खिलाफ हैं.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों की खबरों पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि चैनलों के स्व-नियामक तंत्र को प्रभावी बनाना जरूरी है. जब आप लोगों की प्रतिष्ठा में हस्तक्षेप करते हैं, तो ये अपराध का अनुमान है. कुछ लोग हैं जो संयम का पालन नहीं करते हैं. हम स्व-नियामक तंत्र को मजबूत करना चाहते हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चैनलों पर सिर्फ 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाना प्रभावी नहीं है. पिछले 15 साल से 1 लाख जुर्माने को बढ़ाने का विचार नहीं हुआ है. ये जुर्माना शो से हुए लाभ पर आधारित होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने NBA से स्व-नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए सुझाव मांगे हैं.

सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने  NBA से कहा कि आप कहते हैं कि टीवी चैनल आत्मसंयम बरतते हैं. पता नहीं अदालत में कितने लोग आपसे सहमत होंगे. सुशांत सिंह राजपूत मामले में हर कोई पागल हो गया कि क्या यह एक हत्या है. आपने पहले ही जांच शुरू कर दी. आप नहीं चाहते कि सरकार इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करे, लेकिन स्व-नियामक तंत्र को प्रभावी बनाना होगा.

जुर्माना शो के कमाए गए लाभ के अनुपात में होना चाहिए- SC
चीफ जस्टिस ने पूछा कि चैनलों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाना क्या प्रभावी है? यह 1 लाख जुर्माना कब तैयार किया गया था? पिछले 15 वर्षों में एनबीए ने जुर्माना बढ़ाने पर विचार नहीं किया है? जुर्माना शो में उनके द्वारा कमाए गए लाभ के अनुपात में होना चाहिए. हम स्व-नियामक तंत्र रखने के लिए आपकी सराहना करते हैं, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से प्रभावी होना चाहिए.

मजबूत हो स्व-नियामक निकाय- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने पूछा कि क्या होता है जब आप आपराधिक जांच को वस्तुतः पहले ही शुरू देते हैं? हालांकि हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि स्व-नियमन होना चाहिए, आपका स्व-नियामक निकाय प्रभावी होना चाहिए. उनका दायरा आपके दिशा-निर्देशों द्वारा सीमित है. वे सिर्फ 1 लाख रुपये का जुर्माना लगा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का पूर्व जज होना ही काफी नहीं है. वे भी नियमों से बंधे हैं. आप अपने नियमों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उनमें किस प्रकार का बदलाव लाएंगे? जुर्माना एक प्रकार का निष्कासन शुल्क होना चाहिए. स्व-नियामक निकाय को कैसे मजबूत किया जाए. इस पर हम आपकी सहायता चाहते हैं. अब हम उस ढांचे को मजबूत करेंगे जो निर्धारित किया गया था.

वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि हम आपकी बात से सहमत हैं कि यह एक वैधानिक निकाय नहीं है, लेकिन बॉम्बे HC ने जो कहा हम उसके खिलाफ हैं. डाउन लिंकिंग दिशा-निर्देश देखें. यदि हम एक चैनल के खिलाफ पांच प्रतिकूल आदेश पारित करते हैं तो उनका लाइसेंस नवीनीकृत नहीं किया जाएगा.

सभी प्रमुख चैनल हमारे सदस्य- एनबीए
हाईकोर्ट का कहना है कि स्व-नियामक तंत्र वैधानिक निकाय द्वारा नियंत्रित नहीं है और नरीमन समिति विशेष रूप से यही चाहती थी. हम प्रतिकूल टिप्पणियों से व्यथित हैं. जब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु हुई तो मीडिया में हंगामा मच गया कि उनकी मृत्यु कैसे हुई. फिर जनहित याचिकाएं दायर की गईं और इसके परिणामस्वरूप यह आदेश आया कि किसी चैनल पर वक्ता आदि के खिलाफ शिकायतों के लिए उपाय हैं. सभी प्रमुख चैनल हमारे सदस्य हैं. जो सदस्य नहीं हैं, वे अंतर मंत्रालयी समिति के अधीन हैं. चैनलों को स्व-विनियमित होना होगा और कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए.

Advertisement

एसजी तुषार मेहता ने कहा कि इसके लिए तीन स्तरीय व्यवस्था है. अन्य चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य संगठन भी हैं. हम उन्हें रिकॉर्ड पर भी रखेंगे.

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि NBA वैधानिक निकाय नहीं है और इसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election News: Prashant Kishor का सियासी गणित, Bihar में बैठेगा फिट? | Sawaal India Ka
Topics mentioned in this article