सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम के बेटे नारायण साईं को मिले दो हफ्ते के फरलॉ पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फरलॉ आदेश पर रोक लगा दी थी. एसजी तुषार मेहता गुजरात हाईकोर्ट के जून के आदेश को चुनौती देने के लिए गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फरलॉ देने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने गुजरात सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने नारायण साईं को 2 हफ्ते के लिए फरलॉ देने का आदेश दिया था. गुजरात के सूरत स्थित आश्रम में दो बहनों से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने आसाराम के बेटे नारायण साईं को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस मामले की शिकायत साल 2013 में दर्ज कराई गई थी. अक्टूबर 2013 में नारायण साईं पर सूरत की रहने वाली महिला ने बलात्कार का अरोप लगाया था. पीड़िता नारायण साईं के आश्रम की साधिका थी और उसने नारायण साईं पर आश्रम में ही रेप का आरोप लगाया था. पीड़िता का ये भी आरोप था कि नारायण साईं कि ओर से उसे और उसके पिता को जान से मारने की धमकियां दी जा रही थीं. दिसंबर, 2013 में नारायण साई को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पीपली इलाके से गिरफ्तार किया गया था.
गुजरात सरकार के लिए एसजी तुषार मेहता ने कहा, साईं पर गंभीर आरोप है, इस मामले के गवाह पहले भी मारे जा चुके हैं. पुलिस अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों को पहले भी रिश्वत दी जा चुकी है. पहले जब उनकी मां बीमार थीं तो हमने उनके फरलॉ का विरोध नहीं किया था, लेकिन इस बार यह उचित नहीं है.
वहीं, नारायण साईं के वकील ने कहा कि फरलॉ प्राप्त करने के लिए किसी कारण की आवश्यकता नहीं है. यह पैरोल नहीं है जो सख्त है. आदतन अपराधियों को फरलॉ से वंचित किया जाता है. मेरा मुवक्किल आदतन अपराधी नहीं है. उनके खिलाफ सिर्फ 1 एफआईआर है.