सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- ED एक धूर्त की तरह काम नहीं कर सकता, कानून के दायरे में रहें

Supreme Court ED Warning : जस्टिस भुइयां ने कहा कि आप बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकते. आपको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. मैंने अदालत की कार्यवाही में देखा है कि आपने करीब 5000 ECIR दर्ज की हैं, लेकिन दोषसिद्धि की दर 10% से भी कम है.

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नई दिल्ली:

Supreme Court ED Remarks: प्रवर्तन निदेशालय (ED) 'धूर्त' की तरह काम नहीं कर सकता, उसे कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. ये बात सुप्रीम कोर्ट ने कही है. SC ये भी बताया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के मामलों में दोषसिद्धि की दर 10% से भी कम है. जस्टिस भुइयां ने इस बात पर जोर दिया कि अदालत लोगों की स्वतंत्रता के साथ-साथ ED की छवि को लेकर भी चिंतित है.

यह टिप्पणी जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने विजय मदनलाल चौधरी मामले में 2022 के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की.

सुप्रीम कोर्ट में एसवी राजू की दलीलें


'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने दलील दी कि ED किसी आरोपी को प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) की कॉपी देने के लिए बाध्य नहीं है. ASG ने आगे कहा कि जांच अधिकारियों को इसलिए भी मुश्किल होती है क्योंकि मुख्य आरोपी अक्सर आइलैंड जैसे देशों में भाग जाते हैं, जिससे जांच में बाधा आती है.

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सुप्रीम कोर्ट ED चेतावनी: 'आप बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकते..'

ASG राजू ने कहा कि धूर्त के पास बहुत संसाधन होते हैं, जबकि जांच अधिकारियों के पास इतने संसाधन नहीं होते. इस पर जस्टिस भुइयां ने जवाब दिया, "आप बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकते. आपको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. मैंने अदालत की कार्यवाही में देखा है कि आपने करीब 5000 ECIR दर्ज की हैं, लेकिन दोषसिद्धि की दर 10% से भी कम है. इसलिए हम अपनी जांच और गवाहों को बेहतर बनाने पर जोर देते हैं. हम लोगों की आजादी की बात कर रहे हैं. हमें ED की छवि की भी चिंता है. अगर 5-6 साल की न्यायिक हिरासत के बाद लोग बरी हो जाते हैं, तो इसकी कीमत कौन चुकाएगा?"

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हालांकि, ASG राजू ने कहा कि PMLA मामलों में बरी होने की दर बहुत कम है. उन्होंने यह भी कहा कि इन मामलों की सुनवाई में देरी इसलिए होती है क्योंकि प्रभावशाली आरोपी वकीलों की एक टीम रखते हैं जो कार्यवाही को लंबा खींचने के लिए अलग-अलग चरणों में बार-बार आवेदन दायर करते रहते हैं.

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