फोर्टिस हेल्‍थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन को SC से भी राहत नहीं, अंतरिम जमानत याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने शिविंदर को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्‍होंने SC का रुख किया था.

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
शिविंदर के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक विश्वासघात का केस दर्ज है
नई दिल्‍ली:

फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है. SC ने शिविंदर की अंतरिम जमानत याचिका खारिज  कर दी है. अदालत ने गंभीर आरोपों और फरार होने के खतरे पर को आधार बनाया. फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड ( RFL) में धन की कथित हेराफेरी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनको अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्‍होंने SC का रुख किया था. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने ये याचिका खारिज की. 

सुनवाई के दौरान शिविंदर सिंह के लिए वरिष्ठ वकील गोपाल जैन ने कहा, 'यह एक मानवीय दलील है.इनके चाचा का निधन हो गया है और मां को दौरा पड़ा है.'जस्टिस एमआर शाह  ने कहा कि पिछली बार किसी की मौत हुई थी. उधर, दिल्ली पुलिस के लिए एसजी तुषार मेहता ने कहा, 'वह (शिविंदर) एक आरोपी है, जिसकी देनदारी 2400 करोड़ रुपये है. वह फरार हो सकते हैं. मानवीय आधारों के कारण इसे प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा लगता है कि यहां कुछ संदिग्ध है. उनके खिलाफ एक और मामला जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लंबित है. मुझे नहीं लगता कि वह यहां सहानुभूति के पात्र हैं.'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गंभीर आरोपों के संदर्भ में और ऐसा लगता है कि अगर याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह फरार हो सकता है. अंतरिम जमानत के लिए आवेदन खारिज किया जाता है. शिविंदर के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा ( EOW) द्वारा धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया है.

रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड ( RFL) में धन की कथित हेराफेरी को लेकर दिल्ली पुलिस ने मार्च 2019 में RFL के मनप्रीत सूरी से शिविंदर, रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (REL) के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी और RFL के पूर्व सीईओ कवि अरोड़ा और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद FIR  दर्ज की थी. पुलिस ने आरोप लगाया था कि सिंह ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर कंपनी के फंड को अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल करने के लिए कॉरपोरेट लोन बुक बनाई और मंजूरी देने वाले अधिकारी ने कॉरपोरेट लोन पॉलिसी का पालन नहीं किया. 

Advertisement

- ये भी पढ़ें -

* '"कांग्रेस का 'जी-23' समूह सड़ा हुआ आम है", सामना के संपादकीय में जबरदस्त खिंचाई
* "कांग्रेस अध्यक्ष की इच्छा पर छोड़ा पद": नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया PPCC चीफ पद से इस्तीफा
* "लखीमपुर केस : आशीष मिश्रा व UP सरकार को SC का नोटिस, सभी गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश

Advertisement

"क्‍यों न रद्द कर दी जाए जमानत?": लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pakistan High Commission में डिनर, PAK अफसर संग बाली ट्रिप, कौन है आरोपी YouTuber Jyoti Malhotra?
Topics mentioned in this article