पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि स्थानीय निकाय भर्ती और शिक्षक भर्ती घोटाले में लिंक है. इन दोनों मामले में वो सीबीआई और ईडी जांच का सामना कर रहे हैं. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने कथित घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की अर्जी पर राहत देने से इनकार कर दिया.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने इस दलील को मान लिया कि ये सब बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है. सीबीआई जांच काफी आगे पहुंच गई है. अब इसमें दखल देते हुए रोकना उचित नहीं है.
याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि इस मामले में ईडी की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला है ही नहीं. सिब्बल ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट इतनी जल्दी कैसे इस नतीजे पर पहुंच गया कि राज्य सरकार जांच कराने में सक्षम नहीं है.
वहीं एएसजी एसवी राजू ने इसका विरोध करते हुए दलील दी कि इस मामले में छापेमारी के दौरान पांच करोड़ रुपये नकद और गहने बरामद हुए हैं. शिक्षा मंत्री माणिक भट्टाचार्य के नजदीकी के यहां से ये अघोषित स्रोत वाली संपदा बरामद हुई है. इसमें 350 करोड़ रुपए की हेराफेरी है. ये रकम अयोग्य लोगों की शिक्षक नियुक्त करने के एवज में मिली है. ये धन गायब करने की कवायद माणिक भट्टाचार्य को बचाने के लिए ही की गई है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भी विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि ईडी ने ही सीबीआई को PMLA की धारा 66(2) के तहत मुकदमा दर्ज करने को कहा था.