निठारी हत्याकांड केस में सुरेंद्र कोहली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, रिहाई का रास्ता हुआ साफ

7 अक्टूबर को एक मामले में दोषी सुरेन्द्र कोली का क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना था.

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12 मामलों में सुरेन्द्र कोली बरी हो हो चुका है.
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  • सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के एक मामले में सुरेन्द्र कोली को मिली उम्रकैद की सजा वापस ले ली है.
  • तीन जजों की बेंच ने 2011 के पुनर्विचार फैसले को रद्द करते हुए कोली को बरी करने का आदेश दिया है.
  • सुरेन्द्र कोली पहले से ही बारह मामलों में बरी हो चुका है और अब उसकी सभी सजाएं रद्द कर दी गई हैं.
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नई दिल्ली:

निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट से सुरेन्द्र कोली को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी मामले में उसकी उम्रकैद की सजा का फैसला वापस ले लिया है. तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. बता दें कि नौकर सुरेन्द्र कोली 12 मामलों में पहले ही बरी हो चुका है. दरअसल 7 अक्टूबर को एक मामले में दोषी सुरेन्द्र कोली का क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना था.

क्या कहा कोर्ट ने

CJI बी आर गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां की थीं.  CJI गवई ने कहा कि ये मामला एक मिनट में अनुमति देने वाला है. अगर इस मामले में बाकी मामलों में बरी होने के बाद भी उसे दोषी ठहराया जाए तो एक अजीब स्थिति पैदा हो जाएगी. क्या यह न्याय का उपहास नहीं होगा? जस्टिस विक्रम नाथ ने भी कहा दोषसिद्धि बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित है. क्या यह संभव है कि रसोई के चाकू से हड्डियां काटी जाएं. सुरेंद्र कोली 12 मामलों मे बरी हो चुका है लेकिन एक मामले में उसे उम्रकैद की सजा मिली है. उम्रकैद की सजा के खिलाफ दाखिल कोली की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी थी. अब कोली ने सुप्रीम कोर्ट मे क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर उम्रकैद की सजा को चुनौती दी. 

कोली पर 2005 और 2007 के बीच हुए इस चौंकाने वाले अपराध में बलात्कार और हत्या के 13 मामले थे. लेकिन 12 मामलों में वो बरी हो हो चुका है. एक मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पर मुहर लगाई थी.

जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा, 2011 के पुनर्विचार फैसले को वापस लिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट की अपील स्वीकार की जाती है.  इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है. ⁠याचिकाकर्ता बरी किया जाता है.⁠सभी सज़ाएं रद्द की जाती हैं. ⁠कोली को तत्काल रिहा किया जाए.

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