सेना पर विवादित टिप्पणी : आजम खान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, पहले भी मांग चुके हैं माफी

AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि बुलंदशहर रेप मामले में भले ही कोर्ट से माफी मांग ली हो, लेकिन वह लगातार विवादित टिप्पणी कर रहे हैं.

सेना पर विवादित टिप्पणी :  आजम खान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, पहले भी मांग चुके हैं माफी

आजम खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं...

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट कर सकता है मामले की सुनवाई
  • सेना पर की है विवादित टिप्पणी
  • बुलंदशहर गैंगरेप पर भी कर चुके हैं विवादित टिप्पणी
नई दिल्ली:

यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. आजम खान  की सेना पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है. अर्जी दाखिल होने सुप्रीम कोर्ट आजम खान को नोटिस जारी करेगा. AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि बुलंदशहर रेप मामले में भले ही कोर्ट से माफी मांग ली हो, लेकिन वह लगातार विवादित टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने भारतीय सेना के खिलाफ टिप्पणी की है. ऐसे में कोर्ट को आजम खान को माफी नहीं देनी चाहिए. AG ने बताया कि सेना पर टिप्पणी पर आजम खान पर देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया है. कोर्ट ने कहा कि अर्जी दाखिल करेंगे तो सुनवाई कर सकते हैं -एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि वह अर्जी दाखिल करेंगे.

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गैंगरेप पर दिया था विवादित बयान, बाद में मांगी थी माफी
पिछले साल 15 दिसंबर को बुलंदशहर गैंगरेप मामले में यूपी के मंत्री आजम खान के पछतावे वाले माफीनामे को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था. माफीनामे में रिमोर्स यानी पछतावा शब्द का इस्तेमाल किया गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बिना शर्त माफीनामा से भी ऊपर का माफीनामा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान के बयान को पीड़ित महिला के लिए बताया था ठेसपूर्ण
दरअसल, मंत्रियों को सरकार के घोषित रुख से अलग राय रखना क्या अभिव्यक्ति का आजादी के तहत आता है? सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है. पिछली 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह इस मसले पर विचार करने के लिए पांच जजों की बेंच को रेफर कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के तत्कालीन मंत्री आजम खान के बुलंदशहर गैंगरेप के मामले पर बयान मामले पर सुनवाई के बाद ये फैसला किया था. आजम खान ने बयान दिया था कि बुलंदशहर गैंगरेप को समाजवादी पार्टी सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दिया था. सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी हरीश साल्वे ने कहा कि मंत्री सामूहिक जिम्मेदारी के अपने संवैधानिक दायित्व से बंधे होते हैं और वे सरकार की घोषित नीति से अलग नहीं बोल सकते हैं. एक व्यक्ति अगर मंत्री का पद ग्रहण करता है तो वह व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल नहीं कर सकता है और वह सरकार के उलट बयान नहीं दे सकता. पिछली 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बुलंदशहर गैंगरेप मामले पर सुनवाई करते हुए कई संवैधानिक सवाल उठाए थे. कोर्ट ने पूछा था कि क्या महिलाओं से रेप के मामले में ओहदे पर बैठे लोगों के बयान पीड़ित महिला के फ्री एंड फेयर ट्रायल का हनन तो नहीं है? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिलाओं को समान अधिकार और पहचान के साथ गरिमापूर्ण जीने का अधिकार दिया गया है. ऐसे में किसी रेप पीड़ित महिला के खिलाफ पद पर बैठा कोई व्यक्ति अगर बयानबाजी करता है तो उसके गरिमापूर्ण जीवन को ठेस पहुंचती है.

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कोर्ट ने कहा कि यहां मामला सिर्फ किसी की बोलने की आजादी के अधिकार का नहीं बल्कि पीड़िता के फ्री एंड फेयर ट्रायल के अधिकार का भी है. अगर आरोपी यह कहता है कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया तो बात दूसरी है लेकिन कोई डीजीपी कहता है कि पीड़िता झूठी है तो पुलिस मामले की क्या जांच करेगी?

उसके पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामा को सुप्रीम कोर्ट ने बिना शर्त माफीनामा स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने आजम खान को निर्देश दिया था कि वे नया हलफनामा दायर करें. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आजम खान सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान को लेकर बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हुए थे. इस मामले में एमिकस क्युरी फाली एस नरीमन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को उन मंत्रियों के व्यवहार और कर्तव्यों पर एक दिशानिर्देश जारी करना चाहिए जो किसी भी तरह का सार्वजनिक बयान दे देते हैं. यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस गैंगरेप के मामले में यूपी के मंत्री आजम खान ने कथित रूप से ये बयान दिया था कि ये एक राजनीतिक साजिश थी. जब आजम खान को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया था तो आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यह बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप के पीछे राजनीतिक साजिश है.


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