'ये सामंती युग नहीं कि जैसा राजा बोले वैसा ही हो' : जानिए SC ने क्यों उत्तराखंड के CM को सुनाई खरी-खरी

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मुख्यमंत्री के कार्यों पर कड़ी आपत्ति जताई और सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के महत्व पर जोर दिया.

Advertisement
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध पेड़ काटने के आरोपी IFS अफसर राहुल की राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक के तौर पर नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने उतराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खरी- खरी सुनाई है.  सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि हम सामंती युग में नहीं हैं, जैसा राजाजी बोलें वैसा ही होगा. सार्वजनिक विश्वास का सिद्धांत भी होता है.  जब मंत्री और मुख्य सचिव से मतभेद हो तो कम से कम लिखित में कारण के साथ विवेक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, क्या वह कुछ भी कर सकते हैं? चाहे  तो उस अधिकारी को बरी कर दें या विभागीय कार्यवाही बंद कर दें? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में मुख्यमंत्री से ही हलफनामा मांगेंगे.  हालांकि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि IFS अफसर को पद से हटा दिया गया है.

अदालत ने उठाए कई सवाल
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मुख्यमंत्री के कार्यों पर कड़ी आपत्ति जताई और सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के महत्व पर जोर दिया. इस अधिकारी को पहले अवैध पेड़ काटने के आरोप में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से हटा दिया गया था.   पीठ ने सरकार की मनमानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी को निलंबित करने के बजाय उसका स्थानांतरण कर देना कतई उचित कदम नहीं है.

पहले भी SC लगा चुका है फटकार
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के कोर एरिया में अवैध और मनमाने निर्माण के साथ पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले भी राज्य सरकार के वन मंत्री और आरोपी वन अधिकारियों को फटकार लगा चुका है. उस दौरान अदालत ने कहा था कि आप लोगों ने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया है. कोर्ट ने तब टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार के इस कदम से यह बात तो साफ है कि तत्कालीन वन मंत्री और डीएफओ ने खुद को कानून मान लिया था. 

Advertisement

उन्होंने कानून की धज्जियां उड़ाते हुए और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर इमारतों के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई की. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के डायरेक्टर रहे राहुल के खिलाफ सीबीआई जांच जारी रहने और सिविल सर्विसेज बोर्ड की आपत्तियों के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने राहुल को पद से हटाने की बजाय राजाजी नेशनल पार्क में तैनात कर दिया. कोर्ट ने सरकार के इन मनमाने कदम पर सरकार को जम कर फटकार लगाई. 

Advertisement
जिम कॉर्बेट पार्क में बाघों के पर्यवास के कोर एरिया में नियमों को ताक पर रखकर किए अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई में निदेशक राहुल, डीएफओ मोहन चंद सहित कई अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. 

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति, एनटीसीए, भारतीय वन्यजीव संस्थान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधियों वाली एक समिति के गठन का निर्देश दिया था.  समिति स्थानीय पर्यावरण की क्षतिपूर्ति और बहाली के उपायों की सिफारिश करेगी. यानी क्षति होने से पहले की मूल स्थिति में पहुंचा जा सके. 

Advertisement

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुई पर्यावरणीय क्षति का आकलन करेगा और बहाली के लिए लागत का आकलन करेगा. और ऐसी क्षति के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/अधिकारियों की पहचान करेगा .राज्य में पर्यावरण और जानवरों के पर्यवास को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों और दोषी अधिकारियों से निर्धारित लागत वसूलनी होगी. समिति को पारिस्थितिकी क्षति की सक्रिय बहाली के लिए जमा धन के उपयोग को निर्दिष्ट करने का भी काम सौंपा गया था.  समिति इस पर भी सिफारिशें देगी कि क्या वनों के सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी की अनुमति दी जा सकती है? उन्हें स्थापित करने के लिए क्या नियम कायदे और दिशानिर्देश होने चाहिए. 

Advertisement

ये भी पढ़ें-:

'777 गवाह हों तो भी क्या...?' : मध्यप्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए SC ने ऐसा क्यों कहा?

Featured Video Of The Day
One Nation One Election: एक देश एक चुनाव संवैधानिक तौर पर कितना कठिन? | Hot Topic
Topics mentioned in this article