विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (Wipro founder Azim Premji) और उनकी पत्नी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिली राहत बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ बेंगलुरू की अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक को आगे बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शिकायत देने वाले NGO पर कर्नाटक हाईकोर्ट में अवमानना कार्यवाही चल रही है. पहले हाईकोर्ट का उस पर विचार आनें दें. सुप्रीम कोर्ट दो दिसंबर को मामले की सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट विप्रो (Wipro) के संस्थापक अजीम प्रेमजी और उनकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ बेंगलुरू की अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही को स्टे कर दिया था. कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है अमानत में खयानत के मामले में बेंगलुरू की अदालत ने समन जारी किए थे. अदालत के समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
इससे पहले जून 2020 में कर्नाटक हाइकोर्ट ने विप्रो लिमिटेड के संस्थापक अजीम प्रेमजी, उनकी पत्नी और तीन अन्य लोगों की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था. इसमें एक आपराधिक मामले में बेंगलुरु की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी समन रद्द करने की मांग की गई थी. यह मामला कथित तौर पर गैरकानूनी ढंग से तीन कंपनियों से 45 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को एक निजी ट्रस्ट और एक नवगठित कंपनी में स्थानांतरित करने से संबंधित है.
चेन्नई आधारित एक कंपनी अदालत इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपैरेंसी ने संपत्तियों के स्थानांतरण की वैधता को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट के जज जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अजीम प्रेमजी, यास्मीन प्रेमजी और पी श्रीनिवासन द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए उन्हें कोई उचित आधार नहीं मिला.
समन शहर के 23 वें अतिरिक्त सिटी सिविल एवं सेशन जज ने जारी किया है. शिकायतकर्ता इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी ने आरोप लगाया था कि अजीम प्रेमजी, यास्मीन अजीम प्रेमजी और पी श्रीनिवासन को तीन कंपनियों विद्या इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, रीगल इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और नेपियन इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक बनाया गया था.