भ्रष्ट अधिकारी को नौकरी पर क्यों लौटने दिया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह ईमानदार अधिकारियों का अपमान

इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार (Supreme Court) को लेकर किसी भी तरह की छूट देने के खिलाफ है. दोषी पाए गए सरकारी बाबुओं को तब तक सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं है, जब तक वे उच्च अदालतों से पूरी तरह दोषमुक्त न हो जाएं.

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भ्रष्ट सरकारी बाबुओं पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बाबुओं द्वारा भ्रष्टाचार पर बड़ा फैसला (Supreme Court On Corruption) दिया है. अदालत ने कहा कि जब तक किसी अधिकारी को ऊपरी अदालतों द्वारा दोषमुक्त नहीं किया जाता, तब तक उसे सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. जब कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाता है, तो उसे सेवा में बने रहने देना न केवल सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है बल्कि इससे अन्य ईमानदार अधिकारियों का मनोबल भी टूटता है.

दोषसिद्ध अधिकारी को सेवा में बने रहने का हक नहीं

अदालत ने यह टिप्पणी रेलवे के एक इंस्पेक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. उसने सजा पर भी रोक लगाने की मांग की थी, ताकि उसकी नौकरी बची रह सके. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ‘के.सी. सरीन बनाम केंद्र सरकार' मामले का हवाला देते हुए कहा कि केवल इस आधार पर कि ऊपरी अदालत में अपील विचाराधीन है, दोषसिद्ध अधिकारी को सेवा में बने रहने का हक नहीं मिल सकता.

सार्वजनिक पद पर बने रहने देना सार्वजनिक विश्वास को नुकसान

अदालत ने कहा कि ऐसे लोक सेवकों को सार्वजनिक पद पर बने रहने देना सार्वजनिक विश्वास को नुकसान पहुंचाता है. बता दें कि याचिकाकर्ता रेलवे सुरक्षा बल (RPF) का इंस्पेक्टर है, जिसे एक रिश्वत मामले में दोषी ठहराकर दो साल की सजा दी गई थी.गुजरात हाईकोर्ट ने उसकी सजा को निलंबित कर जमानत दी, लेकिन दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

यह ईमानदार अधिकारियों का अपमान

सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर दोषी अधिकारी को सेवा में रहने दिया गया तो इससे सिस्टम की नींव कमजोर होगी और यह ईमानदार अधिकारियों का अपमान होगा. इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार को लेकर किसी भी तरह की छूट देने के खिलाफ है. और दोषी पाए गए सरकारी बाबुओं को तब तक सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं है, जब तक वे उच्च अदालतों से पूरी तरह दोषमुक्त न हो जाएं. ये फैसला जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने ये दिया है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को नौकरी पर क्यों लौटने दिया जाना चाहिए.

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