सुप्रीम कोर्ट ने Google LLC को यह समझाने के लिए और समय दिया है कि Google मैप पर उसकी पिन लोकेशन सुविधा कैसे काम करती है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस बात की जांच कर रहा है कि जब किसी आरोपी व्यक्ति को जमानत की शर्त के रूप में इस तरह लोकेशन साझा करने के लिए कहा जाता है, तो क्या यह निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को गूगल से पूछा था कि क्या किसी आरोपी को अपने ठिकाने के संबंध में जांचकर्ताओं को जानकारी प्रदान करना जारी रखने की शर्त किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है. टेक-दिग्गज से पिन लोकेशन तकनीकी पहलुओं को समझाने के लिए भी कहा था.
ये भी देखें:
SC ने मांगी गूगल पिन की कार्यप्रणाली की जानकारी
केंद्र ने गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट से कहा था कि बेहतर होगा कि गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जानकारी मांगी जाए. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुझाव दिया कि कंपनी को मूवमेंट ट्रैकर के तकनीकी पहलुओं को साझा करने के लिए कहा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कंपनी को जमानत देने की शर्त के रूप में गूगल पिन की कार्यप्रणाली बताते हुए जवाब दाखिल करने को कहा था.
पीठ ने स्पष्ट किया कि वह कंपनी को मामले में प्रतिवादी के रूप में शामिल नहीं कर रही है, बल्कि केवल Google पिन के कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उसकी सहायता चाहती है.