कोविड संकट काल (Covid Pandemic) में पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्ती दिखाई है. बाबा रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं और वैक्सीनेशन के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की बेंच ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई है.
बेंच ने पतंजलि पर भविष्य में ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. जस्टिस अमानुल्ला ने कहा है कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगा.
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अदालत ने कहा कि हम इस मामले को एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाना चाहते हैं, बल्कि याचिकाकर्ताओं ने जो मुद्दा उठाया है उसका समाधान ढूंढना चाहते हैं. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक योजना कोर्ट के सामने रखे.
दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ के विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दाखिल कर उनपर रोक लगाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. IMA की तरफ से उन विज्ञापनों पर रोक लगाई जाने और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाने की मांग की है.
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पतंजलि ने मार्केट में उतारी थी कोरोनिल
पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था.
पतंजलि के दावों की नहीं हुई थी पुष्टि
IMA ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है. ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमीड एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों के खिलाफ है.
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