राज्यों का खनिजयुक्त भूमि पर टैक्स का अधिकार बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका की खारिज

गत 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति में नहीं है और खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की विधायी शक्ति राज्यों में निहित है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

राज्यों का खनिजयुक्त भूमि पर टैक्स का अधिकार बरकरार रहेगा. इस बारे में केंद्र और खनन कंपनियों को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 25 जुलाई के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ का राज्यों को खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार देने का फैसला बरकरार रहेगा. 

गत 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया था कि रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति में नहीं है और खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की विधायी शक्ति राज्यों में निहित है.  

यह बहुमत का फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस ए ओक, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस  मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुयान, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस एजी मसीह का था, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस पर असहमति जताई थी.  

अब आठ जजों ने बहुमत से केंद्र सरकार और अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि फैसले में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है. 

खनिज समृद्ध राज्यों को राहत

सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई के ऐतिहासिक फैसले से खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत हुई थी. कोर्ट ने खनिज-युक्त भूमि पर रॉयल्टी (Supreme Court On Mineral Tax) लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा था. कोर्ट की बेंच ने फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने की क्षमता और शक्ति है. अदालत ने कहा था कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. 

सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. कोर्ट के इस फैसले से झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर-पूर्व के खनिज समृद्ध राज्यों को फायदा हुआ. अदालत ने कहा कि रॉयल्टी खनन पट्टे से आती है. यह आम तौर पर यह निकाले गए खनिजों की मात्रा के आधार पर निर्धारित की जाती है. रॉयल्टी की बाध्यता पट्टादाता और पट्टाधारक के बीच एग्रीमेंट की शर्तों पर निर्भर करती है और भुगतान सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के लिए होता है.

Advertisement

अदालत ने कहा था कि सरकार को देय एग्रीमेंट भुगतान को टैक्स नहीं माना जा सकता. मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है. रॉयल्टी को लीज डीड द्वारा जब्त कर लिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है. 

यह भी पढ़ें -

सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST के उप-वर्गीकरण के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाएं कीं खारिज

मैरिटल रेप क्राइम के दायरे में नहीं! केंद्र सरकार के मन में क्या? SC में दाखिल हलफनामे के इन तर्कों से समझिए

Advertisement
Featured Video Of The Day
Gadgets 360 With Technical Guruji में जाने 5000 रुपये में अच्छा Wireless Charger | ASK TG
Topics mentioned in this article