श्रद्धा वालकर की कथित रूप से उसके लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला द्वारा दिल्ली में की गई नृशंस हत्या की वजह से उनके गृहराज्य महाराष्ट्र में आरोपों की बरसात होने लगी है, और सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने "अगर श्रद्धा के 2020 में पुलिस को लिखे खत पर कार्रवाई की होती, तो श्रद्धा को बचाया जा सकता था..."
BJP के विधायक राम कदम ने इस हत्याकांड की तरफ साम्प्रदायिक इशारा करते हुए गुरुवार को कहा, "पिछली सरकार राजनीति के लिए एक समुदाय के तुष्टीकरण और वसूली में व्यस्त थी..."
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले ही कह चुके हैं, "मैंने खत देखा है... हम इस मामले की बारीकी से जांच करेंगे... हमें यह पता लगाना ही होगा कि पुलिस को खत मिलने के बाद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई थी..."
BJP के मुंबई प्रमुख आशीष शेलार ने मामले की जांच की मांग की है, विशेष रूप से इस बात की जांच की मांग कि क्या श्रद्धा की शिकायत को 'जानबूझकर दबाया गया था...' उन्होंने भी शिवसेना, कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) की पिछली सरकार पर निशाना साधा, जो जून तक महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ थी.
आशीष शेलार ने भी केस को साम्प्रदायिक रंग देते हुए कहा, "क्या पुलिस ने कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि श्रद्धा का सरनेम 'वालकर' था, या इसलिए, क्योंकि वह 'आफताब' है..."
बुधवार को ही सामने आए, और 23 नवंबर, 2020 को पुलिस को लिखे गए खत में श्रद्धा ने कहा था कि आफताब अमीन पूनावाला उसे "मार डालने, टुकड़े-टुकड़े कर देने और फेंक देने की धमकी देता है..." गौरतलब है कि आफताब ने कथित रूप से श्रद्धा का कत्ल बिल्कुल इसी तरीके से किया, जिसके आरोप में उसे इसी माह गिरफ्तार किया गया है.
वसई पुलिस का हालांकि कहना है कि उन्होंने श्रद्धा के खत पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि श्रद्धा ने खुद ही तीन हफ्ते बाद लिखित बयान देकर कहा था, "हम दोनों में कोई झगड़ा नहीं रहा है...", और कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का आग्रह किया था.
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