कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत बरकरार रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है. अब मामले में सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक जारी रहेगी.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में मंज़ूरी नहीं मिलने के बावजूद आपराधिक शिकायत बहाल की गई थी.
बता दें कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में निचली अदालत की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ की 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा था.
हाईकोर्ट ने आठ सितंबर को माना था कि येदियुरप्पा और अन्य के खिलाफ मामले में जांच करने के लिए एक विशेष अदालत की मंजूरी की अस्वीकृति बाधा नहीं हो सकती है.पिछले साल आठ जुलाई को विशेष अदालत ने एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम द्वारा दायर निजी शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि भ्रष्टाचार की रोकथाम की धारा के तहत वैध मंजूरी के बिना जांच नहीं की जा सकती.
लोकायुक्त ने दर्ज की थी FIR
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य लोकायुक्त ने 16 सितम्बर को येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों एवं अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी , वसूली और आपराधिक साजिश के लिए विभिन्न प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की थी. अब्राहम के अनुसार आरोपियों ने 2019-21 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में निर्माण कंपनी को आवासीय परिसर का ठेका देने के लिए येदियुरप्पा की ओर से फर्म से बारह करोड़ रुपये की रिश्वत वसूली थी.
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