रामलला की मूर्ति के लिए विज्ञानियों ने बनाया 'मिरर और लेंस' सिस्टम 'सूर्यतिलक'

वैज्ञानिकों ने एक खास आईना और लेंस बेस्ड डिवाइस डिजाइन की है. इस डिवाइस से हर राम नवमी पर्व पर दोपहर में सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
'सूर्यतिलक मैकेनिज्म' को सटीकता के साथ तैयार करना और स्थापित करना विज्ञान और इंजीनियरिंग की चुनौती थी.
नई दिल्ली:

अयोध्या के राम मंदिर में हर साल में एक बार रामलला के माथे पर विशेष 'सूर्य तिलक' लगाया जाएगा. प्रत्येक रामनवमी यानी कि भगवान राम के जन्मदिन पर उनको देश के वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किए गए विशेष सूर्य तिलक का उपहार मिलेगा. एक प्रमुख सरकारी संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक खास उपकरण डिजाइन किया है. मिरर और लेंस से बनाए गए इस उपकरण से राम नवमी के दिन दोपहर में सूर्य की किरणें सीधे 'रामलला' की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी.

इसे आधिकारिक तौर पर 'सूर्य तिलक मैकेनिज्म' कहा जा रहा है. इसे सटीकता के साथ तैयार करना और स्थापित करना विज्ञान और इंजीनियरिंग की चुनौती थी.

रूड़की में स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) के डायरेक्टर डॉ प्रदीप कुमार रामनचरला का कहना है कि, "जब पूरे मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो सूर्य तिलक मैकेनिज्म पूरी तरह से चालू हो जाएगा."

देश का प्रमुख संस्थान सीबीआरआई वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) का भी हिस्सा है. डॉ रमनचरला ने कहा कि, फिलहाल सिर्फ पहली मंजिल तक का स्ट्रक्चर ही बनाया गया है. गर्भ गृह और ग्राउंड फ्लोर में लगाए जाने वाले सभी उपकरण पूरे बन चुके हैं."

सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब छह मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी.

एक गियरबॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह तक लाया जाएगा. इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा.

Advertisement

इस निर्माण में सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) से ली गई है. बेंगलुरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है. इस डिवाइस का निर्माण और इंस्टालेशन ऑप्टिका के एमडी राजेंद्र कोटारिया द्वारा किया जाएगा. सीबीआरआई की टीम का नेतृत्व डॉ एसके पाणिग्रही के साथ डॉ आरएस बिष्ट, कांति लाल सोलंकी, वी चक्रधर, दिनेश और समीर कर रहे हैं.

अयोध्या के राम मंदिर की डिजाइन में मदद करने वाले सीबीआरआई के साइंटिस्ट डॉ प्रदीप चौहान का दावा है कि, ''शत प्रतिशत सूर्य तिलक राम लला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा.''

Advertisement

राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर द्वारा निर्धारित होती है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि शुभ अभिषेक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो, 19 गियर की विशेष व्यवस्था की गई है. डॉ चौहान का कहना है कि, ''गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है.''

एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भारत के प्रमुख संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने चंद्र और सौर (ग्रेगोरियन) कैलेंडरों के बीच जटिलतापूर्ण अंतर के कारण आने वाली समस्या का समाधान किया है.

Advertisement

आईआईए की डायरेक्टर डॉ अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम का कहना है कि, ''हमारे पास पोजीशनल एस्ट्रोनॉमी के लिए जरूरी विशेषज्ञता है. इस डोमेन नॉलेज का ट्रांसलेशन किया गया ताकि सूर्य तिलक के रूप में सूर्य की किरणें हर राम नवमी पर रामलला की मूर्ति का अभिषेक कर सकें."

आईआईए को ऑप्टिक्स में भी विशेषज्ञता हासिल है. उसने भारत की कुछ बेहतरीन दूरबीनों को डिजाइन किया है. पेरिस्कोप जैसी डिवाइस से बंद गर्भ गृह में सूरज की किरणें लाने के लिए इस संस्थान के कौशल का उपयोग किया गया है.डॉ सुब्रमण्यम कहती हैं कि, "यह एक दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग था जिसमें दो कैलेंडरों के 19 साल के रिपीट साइकल ने समस्या को हल करने में मदद की."

Advertisement

अयोध्या के राम मंदिर में भले ही सूर्य की किरणों को राम लला की मूर्ति के माथे तक लाया जाना संभव होगा, लेकिन सौर ऊर्जा पैनलों का उपयोग करके बिजली पैदा करने और राम मंदिर परिसर को हरा-भरा व नेट-जीरो के करीब बनाने का एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अमल में नहीं लाया जा सका.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि, ''बड़ी संख्या में बंदरों की मौजूदगी के कारण सौर ऊर्जा परियोजना को छोड़ना पड़ा.'' वे कहते हैं कि, "वहां बहुत सारे बंदर हैं और वे सभी पूजनीय हैं. उन्होंने खुले सौर पैनलों को नुकसान पहुंचाया होगा."

राम मंदिर के समान ही सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कुछ जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिर में किया जा रहा है, हालांकि उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है.

Featured Video Of The Day
S Jaishankar UAE Visit: एस जयशंकर ने किया UAE का दौरा | Top 10 International News
Topics mentioned in this article