सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट को पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले की सुनवाई से जस्टिस गंगोपाध्याय को हटाने का निर्देश दिया है. इस बीच कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को निर्देश दिया कि वे आज रात 12 बजे तक इंटरव्यू की ट्रांसस्क्रिप्ट कॉपी उनके सामने पेश करें, जिसे शीर्ष अदालत के समक्ष रखा गया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी है.
जस्टिस गंगोपाध्याय ने ओपन कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर कमेंट किया था कि सुप्रीम कोर्ट के जज जो चाहें कर सकते हैं? क्या यह जमींदारी है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुछ देर में सुनवाई शुरू होने वाली है.
जस्टिस गंगोपाध्याय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उक्त आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह अपने इंंटरव्यू के आधिकारिक अनुवाद की कॉपी और हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के हलफनामे का रात 12:15 बजे तक अपने चेंबर में इंतजार करेंगे. आदेश में कहा गया, "पारदर्शिता के लिए, मैं माननीय सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को निर्देश देता हूं कि वे मेरे सामने रिपोर्ट और मेरे द्वारा मीडिया में दिए गए इंटरव्यू का आधिकारिक अनुवाद और इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल का हलफनामा आज आधी रात 12 बजे तक पेश करें."
जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, "पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है. मैं आज आधी रात 12:15 बजे तक अपने चेंबर में दो सेट ऑरिजनल कॉपी का इंतजार करूंगा. जिन्हें आज सुप्रीम कोर्ट में के माननीय जजों के समक्ष रखा गया है."
ममता के भतीजे की याचिका पर हो रही थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अभिषेक ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें जस्टिस गंगोपाध्याय ने 13 अप्रैल को आदेश दिया था कि जरूरत पड़ने पर ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां अभिषेक से पूछताछ कर सकती हैं. यह जांच जल्द की जाए.
अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी.
अब तक, इस मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय देख रहे थे, जिन्होंने सीबीआई और ईडी को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गंगोपाध्याय के एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू पर आपत्ति जताने के 4 दिन बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर बनर्जी के खिलाफ बात की थी. अदालत ने टिप्पणी की थी कि "न्यायाधीश लंबित मामलों पर इंटरव्यू नहीं दे सकते हैं," और स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या कथित बयान सिंगल जज दिए गए थे या नहीं.
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