कमल चुनाव चिह्न को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर हुई सुनवाई, SC ने याचिकाकर्ता से मांगी जानकारी

वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न कमल है जो हिन्दू और बौद्ध धर्म में एक प्रतीक है.

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नई दिल्ली:

धार्मिक चिह्नों और धार्मिक नाम का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोकने और मान्यता रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट में मामले से सम्बंधित लंबित याचिका की जानकारी 4 हफ्ते में देने को कहा है. वहीं मुस्लिम लीग ने इस मामले में बीजेपी को भी पार्टी बनाने की अर्जी दी है. वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न कमल है जो हिन्दू और बौद्ध धर्म में एक प्रतीक है. इसके अलावा उन्होंने शिव सेना, शिरोमणी अकाली दल,  हिंदू सेना, हिंदू महासभा, क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फ्रंट, इस्लाम पार्टी हिंद, आदि जैसे 26 अन्य दलों को भी शामिल करने की मांग की है.

वहीं AIMIM की तरफ से वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की. केके वेणुगोपाल ने कहा इसमें किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं हो रहा है. याचिकाकर्ता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि देश में दो तरह के राजनीतिक दल हैं, राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियां, चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में बताया है कि हाईकोर्ट में दायर याचिका का निपटारा हो चुका है.

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM और  इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग IUML ने याचिकाकर्ता वसीम रिज़वी पर  सवाल उठाए थे.कहा था कि सिर्फ मुस्लिम पार्टियों पर निशाना साधा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को सेक्युलर होना चाहिए.सिर्फ एक समुदाय को निशाना नहीं बनाना चाहिए.सभी पार्टियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए.

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AIMIM ने मामले को संवैधानिक पीठ को भेजने की मांग की है. वरिष्ठ वकील और पूर्व AG केके वेणुगोपाल ने मामले को संविधानिक पीठ के पास भेजने की मांग की. कहा है इसके दूरगामी परिणाम होंगे. कई राजनीतिक दलों पर असर पड़ेगा.75 साल की सम्पूर्ण लोकतान्त्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी. याचिकाकर्ता एक आपराधिक मामले में जमानत पर है, वह स्वयं इस्लाम से हिन्दू धर्म में शामिल हुआ है.

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