फिल्म 'द केरल स्टोरी' (The Kerala Story) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट से फिल्म पर रोक लगाने की मांग की गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई और हेट स्पीच याचिकाओं के साथ मामले को टैग करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इसे लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते. सेंसर बोर्ड ने इसे प्रक्रिया के जरिए प्रमाणित किया है. दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा अधिवक्ता निजाम पाशा ने न्यायमूर्ति के एम जोसफ एवं न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ को सूचित किया कि फिल्म के ट्रेलर को एक करोड़ 60 लाख बार देखा गया है. यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो रही है.
अधिवक्ता पाशा ने कहा, ‘‘ यह फिल्म घृणा फैलाने वाले भाषण का सबसे बदतर उदाहरण है. विशुद्ध तौर पर यह दृश्य-श्रव्य (ऑडियो विजुअल) दुष्प्रचार है.''
पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘‘घृणा भाषण भी कई प्रकार के होते हैं. इस फिल्म को प्रमाणपत्र मिला है और बोर्ड ने इसे मंजूरी दी है. यह ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति मंच पर चढ़ गया और अनाप-शनाप भाषणबाजी करने लगा. अगर आपको फिल्म की रिलीज को चुनौती देनी है तो आपको प्रमाणपत्र को चुनौती देनी चाहिए और वह भी उचित मंच के माध्यम से.''
इस पर अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि जो जरुरी होगा, वह सब करेंगे. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय जाना चाहिए. अधिवक्ता पाशा ने कहा कि फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने वाली है, ऐसे में वक्त नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘‘यह कोई आधार नहीं है. ऐसे तो हर कोई सुप्रीम कोर्ट आने लगेगा.'' पाशा ने कहा कि इसीलिए उन्होंने घृणा भाषण मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है.
गौरतलब है कि यह फिल्म धर्मांतरण पर आधारित है. 'द केरला स्टोरी' के ट्रेलर में ब्रेन वॉश, लव जिहाद, हिजाब और आईएसआईएस जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. फिल्म में दावा किया गया है कि यह केरल की उन 32 हजार लापता लड़कियों की कहानी है जिनका ब्रेनवॉश करके पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया गया और बाद में ISIS आतंकवादी बना दिया. (भाषा इनपुट के साथ)
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